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Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Commerce (Hindi Medium) Class 11 [कक्षा ११] CBSE Syllabus 2025-26

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CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus - Free PDF Download

CBSE Syllabus 2025-26 Class 11 [कक्षा ११]: The CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for the examination year 2025-26 has been released by the Central Board of Secondary Education, CBSE. The board will hold the final examination at the end of the year following the annual assessment scheme, which has led to the release of the syllabus. The 2025-26 CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Board Exam will entirely be based on the most recent syllabus. Therefore, students must thoroughly understand the new CBSE syllabus to prepare for their annual exam properly.

The detailed CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for 2025-26 is below.

Academic year:

CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Revised Syllabus

CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) and their Unit wise marks distribution

CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Course Structure 2025-26 With Marking Scheme

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Syllabus

CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for Chapter 1: भाग 1 - व्यवसाय के आधार

1 व्यवसाय, व्यापार और वाणिज्य
  • व्यवसाय, व्यापार और वाणिज्य की प्रस्‍तावना  
  • अर्थव्यवस्था के विकास में व्यवसाय की भूमिका  
    • प्राचीनकाल में प्रमुख व्यापार केंद्र
  • व्यवसाय की अवधारणा  
    • व्यवसाय की अवधारणा
    • व्यावसायिक क्रियाओं की विशेषताएँ
    1. यह एक आर्थिक क्रिया है 
    2. वस्तुओं और सेवाओं का उतपादन अथवा उनकी प्राप्‍ति 
    3.  मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं का विक्रय या विनिमय
    4.  नियमित रूप से वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय
    5. लाभ अर्जन
    6. प्रतिफल की अनिश्चतता 
    7. जोखिम के तत्व 
    • उद्यम स्तर पर व्यावसायिक कर्तव्य
  • व्यवसाय, पेशा तथा रोज़गार में तुलना  
  • व्यावसायिक क्रियाओ का वर्गीकरण  
  • उद्योग  
    • उद्योग
    • उद्योगों के प्रकार
    1. प्राथमिक उद्योग
      (i) निष्कर्षण उद्योग
      (ii) जननिक उद्योग
    2. द्वितीयक या माध्यमिक उद्योग
      (i) विनिर्माण उद्योग
      (ii) निर्माण उद्योग
    3. तृतीयक या सेवा उद्योग
  • वाणिज्य  
  • व्यापार  
    • विविध भौगोलिक घटक खालीलप्रमाणे
    1. नैसर्गिक संसाधनांच्या वितरणामधील फरक
    2. हवामान
    3. लोकसंख्या
    4. संस्कृती
    5. आर्थिक खर्च
    6. निपुणता
    7. शासकीय धोरणे
  • व्यापार और व्‍यापार के सहायक  
    1.  परिवहन एवं संप्रेषण
    2.  बैंकिंग एवं वित्त
    3. बीमा
    4. भंडारण
    5. विज्ञापन और जनसंपर्क
  • व्यापार के प्रकार  
    • वस्तु की मात्रा के अनुसार (वस्तुओं की नग संख्या)
      1) थोक व्यापार 
      2) चिल्लर व्यापार 
    • प्रदेश (क्षेत्र) के विस्तार के अनुसार 
      1) राष्ट्रीय/स्थानीय व्यापार 
      2) अंतरराष्ट्रीय बाह्य व्यापार
  • व्यवसाय के उद्देश्य  
    1. बाज़ार स्थिति
    2.  नवाचार
    3.  उत्पादकता
    4.  भौतिक और वित्तीय संसाधान
    5.  लाभ कमाना
    6.  सामाजिक उत्तरदायित्व 
  • व्यावसायिक जोखिम  
  • व्यावसायिक जोखिमों की प्रकृति  
    1.  व्यावसायिक जोखिम अनिश्‍चितताओं के कारण होते हैं
    2. जोखिम प्रत्येक व्यवसाय का आवश्यक अंग होता है
    3.  जोखिम की मात्रा मुख्यत व्यवसाय की प्रकृति एवं आकार पर निर्भर करती है
    4. जोखिम उठाने का प्रतिफल लाभ होता है
  • व्यावसायिक जोखिमों के कारण  
    1. प्राकृतिक कारण
    2.  मानवीय कारण
    3. आर्थिक कारण
    4.  अन्य कारण 
  • व्यवसाय शुरू करना - मूल कारक  
    1. व्यवसाय के स्वरूप का चयन
    2.  फर्म का आकार
    3. स्वामित्व के स्वरूप का चुनाव
    4. उद्यम का स्थान
    5. प्रस्थापन की वित्त व्यवस्था
    6. भौतिक सविुधाएँ
    7. संयंत्र अभिन्यास (प्लांट लेआउट)
    8.  सक्षम एवं वचनबद्ध कामगार बल
    9. कर संबंधी योजना
    10. उद्यम प्रारंभ करना
2 व्यावसायिक संगठन के स्वरूप
  • व्यावसायिक संगठन के स्वरूप का परिचय  
  • एकल स्वामित्व  
  • एकल स्वामित्व के लक्षण  
    1. निर्माण एवं समापन
    2.  दायित्व
    3. लाभ प्राप्‍तकतार्तथा जोखिम वहनकर्ता
    4. नियंत्रण
    5. स्वतंत्र अस्तित्व नहीं
    6. व्यावसायिक निरंतरता का अभाव
  • एकल स्वामित्व के गुण  
    1. शीर्घ निर्णय
    2. सूचना की गोपनीयता
    3. प्रत्यक्ष प्रोत्साहन
    4.  उपलब्धि का अहसास
    5.  स्थापित करने एवं बंद करने में सुगमता 
  • एकल स्वामित्व के सीमाएँ  
    1. सीमित संसाधन
    2.  व्यावसायिक इकाई का सीमित जीवनकाल
    3. असीमित दायित्व
    4. सीमित प्रबंध योग्यता 
  • संयुक्त हिंदू परिवार व्यवसाय  
  • सयंक्‍त हिंदू परिवार व्यवसाय के लक्षण  
    1. निर्माण
    2. दायित्व
    3.  नियंत्रण
    4. निरंतरता
    5.  नाबालिग सदस्य
  • सयंक्‍त हिंदू परिवार व्यवसाय के गुण  
    1. प्रभावशाली नियंत्रण
    2.  स्थायित्व
    3. सदस्यों का सीमित दायित्व
    4. निष्ठा एवं सहयोग में वृद्धि
  • सयंक्‍त हिंदू परिवार व्यवसाय की सीमाएँ  
    1. सीमित साधन
    2. कर्ता का असीमित दायित्व
    3.  कर्ता का प्रभुत्व
    4. सीमित प्रबंध कौशल
    • संयुक्त हिंदू परिवार में लिंग समता- एक वास्तविकता
  • साझेदारी  
  • साझेदारी के लक्षण  
    1. स्थापना
    2. देयता
    3. जोखिम वहन करना
    4. निर्णय लेना एवं नियंत्रण
    5. निरंतरता
    6. सदस्यता
    7.  एजेंसी सबंध
  • साझेदारी के गुण  
    1. स्थापना एवं समापन सरल
    2. संतुलित निर्णय
    3.  अधिक कोष
    4.  जोखिम को बाँटना
    5. गोपनीयता
  • साझेदारी की सीमाएँ  
    1. असीमित दायित्व
    2. सीमित साधन
    3. परस्पर विरोध की संभावना
    4. निरंतरता की कमी
    5. जनसाधारण के विश्‍वास की कमी
  • साझेदारों के प्रकार  
    1. सक्रिय साझेदार
    2.  सुप्‍त अथवा निष्क्रिय साझेदार
    3. गुप्‍त साझेदार
    4. नाममात्र का साझेदार
    5. विबंधन साझेदार (एस्टॉपेल)
    6. प्रतिनिधि साझेदार (होल्डिंग आउट)
  • साझेदारी के प्रकार  
    • अवधि के आधार पर वर्गीकरण
      1. ऐच्छिक साझेदारी
      2. विशिष्‍ट साझेदारी
    • देयता के आधार पर वर्गीकरण
      1. सामान्य साझेदारी
      2. सीमित साझेदारी
  • साझेदारी संलेख  
  • साझेदारी फर्म का पंजीकरण  
  • सहकारी संगठन  
  • सहकारी संगठन के लक्षण  
    1. स्वैच्छिक सदस्यता
    2. वैधानिक स्थिति
    3.  सीमित दायित्व
    4.  नियंत्रण
    5. सेवा भावना 
  • सहकारी संगठन के गुण  
    1. वोट की समानता
    2.  सीमित दायित्व
    3.  स्थायित्व
    4. मितव्ययी प्रचालन
    5. सरकारी सहायता
    6.  सरल स्थापना
  • सहकारी संगठन की सीमाएँ  
    1. सीमित संसाधन
    2. अक्षम प्रबंधन
    3.  गोपनीयता की कमी
    4. सरकारी नियंत्रण
    5.  विचारों की भिन्नता
  • सहकारी समितियों के प्रकार  
    1. उपभोक्‍ता सहकारी समितियाँ
    2. उत्पादक सहकारी  समितियाँ
    3. विपणन सहकारी समितियाँ
    4. किसान सहकारी समितियाँ
    5.  सहकारी ॠण समितियाँ
    6. सहकारी आवास समितियाँ
  • संयुक्त पूँजी कंपनी  
  • संयुक्त पूँजी कंपनी के लक्षण  
    1. कृत्रिम व्यक्‍ति
    2.  पृथक वैधानिक अस्तित्व
    3. स्थापना
    4.  शाश्‍वत उत्तराधिकार
    5.  नियंत्रण
    6.  दायित्व
    7.  सार्वमुद्रण
    8. जोखिम उठाना 
    • फॉर्च्यून ग्लोबल सगठनों के संघ में शामिल भारतीय कंपनियाँ
  • संयुक्त पूँजी कंपनी के गुण  
    1. सीमित दायित्व
    2. हितों का हस्तांतरतण
    3.  स्थायी अस्तित्व
    4. विस्तार की संभावना
    5. पेशेवर प्रबंध
    • अमूल का अद्भुत सहकारिता उपक्रम
    • ‘पूर्व कंपनी अधिनियम’ से आशय निम्न में से किसी भी एक अधिनियम से है
  • संयुक्त पूँजी कंपनी की सीमाएँ  
    1. निर्माण में जटिल
    2.  गोपनीयता की कमी
    3.  अवैयक्‍तिक कार्य वातावरण
    4.  अनेकानेक नियम
    5.  निर्णय में देरी
    6.  अल्पतंत्रीय प्रबधंन
    7. हितों का टकराव
  • कंपनियों के प्रकार  
    • निजी कंपनी
    • सार्वजनिक कंपनी
    • निजी कंपनी और सार्वजनिक कंपनी में अंतर
    • भारत हैवी इलैक्ट्रीक्लस लि. — एक सार्वजनिक कंपनी की गुणवत्ता यात्रा
  • व्यावसायिक संगठन के स्वरूप का चयन  
    1. प्रारंभिक लागत
    2.  दायित्व
    3.  निरंतरता
    4. प्रबंधन की योग्यता
    5. पूँजी की आवश्यकता
    6. नियंत्रण
    7. व्यवसाय की प्रकृति
    • संगठन के स्वरूप के चुनाव को प्रभावित करने वाले कारक
    • संगठनों के स्वरूप का तुलनात्मक विश्लेषण
3 निजी, सार्वजनिक एवं भूमंडलीय उपक्रम
  • निजी, सार्वजनिक एवं भूमंडलीय उपक्रम का परिचय  
  • सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के उद्यमों की अवधारणा  
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के सगठंनों के स्वरूप  
  • विभागीय उपक्रम  
    • विशेषताएँ, लाभ, सीमाएँ
  • वैधानिक निगम  
    • विशेषताएँ, लाभ, सीमाएँ
  • सरकारी कंपनी  
    • विशेषताएँ, लाभ, सीमाएँ
  • सार्वजनिक क्षेत्र की बदलती भूमिका  
    1. मूलभूत ढाँचे का विकास
    2.  क्षेत्रीय संतुलन
    3. बड़े पैमाने के लाभ
    4.  आर्थिक शक्‍ति के केंद्रित होने पर रोक
    5.  आयात की प्रतिस्थापना
    6. 1991 से सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र सबंधी नीति
      i. सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों की संख्या को घटाकर 17 से 8 कर देना (तत्पश्‍चात् 3 कर देना) 
      ii. सार्वजनिक क्षेत्र चुनिंदा व्यावसायिक इकाइयों के अंशो का विनिवेश 
      (iii) बीमार इकाइयों एवं निजी क्षेत्र के लिए एक समान नीतियाँ
      (iv) समझौता विवरणिका (Memorandum of Understanding)
  • भूमंडलीय उपक्रम विशेषताएँ  
    1. विशाल पूँजीगत संसाधन
    2. विदेशी सहयोग
    3. उन्नत तकनीकें
    4. उत्पादन में नवीनता
    5. विपणन रणनीतियाँ
    6.  बाज़ार क्त्र का षे विस्तार
    7. केंद्रीकृत नियंत्रण
  • संयुक्त उपक्रम  
  • संयुक्त उपक्रमों के प्रकार  
    1. सविंदात्मक संयुक्त उपक्रम
    2. समता आधारित संयुक्त उपक्रम
  • संयुक्त उपक्रमों का लाभ  
    1. संसाधन एवं क्षमता में वृद्धि
    2. नए बाज़ार एवं वितरण तंत्र का लाभ
    3.  नई तकनीकी का लाभ
    4. नवीनता
    5.  उत्पादन लागत में कमी
    6.  एक स्थापित ब्रांड का नाम
  • सार्वजनिक निजी भागीदारी  
    • पी.पी.पी. प्रतिरूप
4 व्यावसायिक सेवाएँ
  • सेवाओं का परिचय  
  • सेवाओ की प्रकृति  
    1. अमूर्त
    2. असगंतता
    3. अभिन्नत
    4. इन्वेन्ट्री संभव नहीं
    5. संबद्धता 
    • सेवाओं एवं वस्तुओं में अंतर
  • सेवाओं के प्रकार  
    • व्यावसायिक सेवाएँ
    • सामाजिक सेवाएँ
    •  व्यक्‍तिगत सेवाएँ
  • व्यावसायिक सेवाएँ  
  • बैंकिंग  
    • बैंकिंग एवं सामाजिक उद्देश्
  • बैंकों के प्रकार  
    1. वाणिज्यिक बैंक
    2.  सहकारी बैंक
    3. विशिष्‍ट बैंक
    4. केंद्रीय बैंक
  • विशेष संदर्भ वाली बैंकिंग सेवाएं - बैंक ड्राफ्ट  
  • विशेष संदर्भ वाली बैंकिंग सेवाएं - बैंकर चेक  
  • विशेष संदर्भ वाली बैंकिंग सेवाएं - रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट  
  • विशेष संदर्भ के साथ बैंकिंग सेवाएं - राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर  
  • विशेष संदर्भ वाली बैंकिंग सेवाएं - बैंक ओवरड्राफ्ट  
  • विशेष संदर्भ के साथ बैंकिंग सेवाएं - नकद ऋण  
  • वाणिज्यिक बैंक के कार्य  
    1. जमा स्वीकार कर
    2. ॠण देन
    3.  चेक सुविधा
    4. धन का हस्तांतरण
    5. सहयोगी सेवाएँ   
  • ई-बैंकिंग  
    • लाभ 
  • बीमा  
    • अपेक्षित तथ्यों के उदाहरण
  • बीमा के कार्य  
    1. निश्‍चितता प्रदान करना
    2. सुरक्षा
    3. जोखिम को बाँटना
    4.  पूँजी निर्माण में सहायक
  • बीमा के सिद्धांत  
    1. पूर्ण सद्विश्वास
    2.  बीमायोग्य हित
    3. क्षतिपूर्ति
    4.  निकटतम का
    5. अधिकार समर्पण
    6. योगदान
    7.  हानि को कम करना
  • जीवन बीमा  
  • अग्नि बीमा  
  • सामुद्रिक बीमा  
    1. जहाज़ बीमा
    2. माल का बीमा
    3.  भाड़ा बीमा 
  • संप्रेषण सेवाएँ  
  • बीमा के प्रकार  
    1. स्वास्थ्य बीमा
    2. मोटर वाहन बीमा
    3. चोरी का बीमा
    4. पशुओं का बीमा
    5. फसल का बीमा
    6. खेल का बीमा
    7. अमर्त्यसेन शिक्षा योजना बीमा
    8. राजेश्‍वरी महिला कल्याण बीमा योजना  
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ  
    1. अटल पेंशन योजना
    2. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
    3. प्रधानमंत्री जन-धन योजना
    4. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 
  • डाक सेवाएँ  
    1. वित्तीय सुविधाएँ
    2. डाक सुविधाएँ
  • टेलीकॉम सेवाएँ  
    1. सेल्यूलर मोबाइल सेवाएँ
    2. स्थायी लाइन सेवाएँ
    3.  केबल/तार सेवाएँ
    4. वी.एस.ए.टी. सेवाएँ (वेरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल)
    5.  डी.टी.एच. सेवाएँ (डायरेक्ट टू होम)
  • परिवहन (यातायात)  
    • सड़कमार्ग
    • रेलमार्ग
    • जलमार्ग
    • वायुमार्ग
  • भंडारण  
    • भंडारगृहों के प्रकार
      1. निजी भंडारगृह
      2. सार्वजनिक भंडारगृह
      3. बंधक माल गोदाम
      4. सरकारी भंडारगृह
      5. सहकारी भंडारगृह
    • केंद्रीय भंडारण निगम
  • भंडारगृहों के कार्य  
    1. सचंयन
    2. भारी मात्रा का विघटन
    3. संग्रहीत स्टॅाक
    4. मूल्य वर्द्धन सेवाएँ
    5. मूल्यों में स्थिरता 
5 व्यवसाय की उभरती पद्धतियाँ
  • व्यवसाय की उभरती पद्धतियों का परिचय  
  • ई-व्यवसाय  
    • ई-व्यवसाय बनाम ई-कॉमर्स
  • ई-व्यवसाय का कार्यक्षेत्र  
    1. फर्म से फर्म कॉमर्स
    2. फर्म से ग्राहक कॉमर्स
    3. अंत: बी कॉमर्स
    4. ग्राहक से ग्राहक कॉमर्स
    • ई-वाणिज्य के लाभ
    • ए.टी.एम. मुद्रा निकासी को गति देता है
    • ई-कॉमर्स ने लोचदार उत्पादन और व्यापक स्तर पर उपभोक्‍तानुरूप उत्पादन संभव बनाया है
    • ई-व्यवसाय बनाम पारंपरिक व्यवसाय
  • ई-व्यवसाय के लाभ  
    1. निर्माण में आसानी एवं निम्न निवेश आवश्यकताएँ
    2. सुविधापूर्ण
    3. गति
    4. वैश्‍विक पहुँच/प्रवेश
    5. कागज़रहित समाज की ओर संचलन
  • कुछ ई-व्यवसाय अनुप्रयोग  
    1. ई-अधिप्राप्‍त
    2. ई-बोली/ई-नीलामी
    3. ई-सचार/ई-संवर्द्धन
    4. ई-सपुर्दुगी
    5. ई-व्यापार
  • पारंपरिक व्यवसाय एवं ई-व्यवसाय में अंतर  
  • ई-व्यवसाय की सीमाएँ  
    1. अल्प मानवीय स्पर्श
    2. आदेश प्राप्‍ति/प्रदान और आदेश पूरा करने की गति के मध्य असमरूपता
    3. ई-व्यवसाय के पक्षों में तकनीकी क्षमता और सामर्थ्य की आवश्यकता
    4. पक्षों की अनामता और उन्हें ढूँढ पाने की अक्षमता के कारण जोखिम में वृद्धि
    5. जन प्रतिरोध
    6. नैतिक पतन
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम - 2000 कागज़ रहित समाज के लिए राह तैयार कर रहा है
    • सीमाओं के बावजूद भी ई- कॉमर्स एक साधन है
  • ऑनलाइन लेन-देन  
    1. पंजीकरण
    2. आदेश प्रेषित करना
    3. भुगतान तंत्र 
      a. सुपुर्दगी के समय नकद
      b. चेक
      c. नेट बैंकिंग हस्तांतरण
      d. क्रेडिट और डेबिट कार्ड 
      e. अंकीय (डिजिटल) नकद
  • ई–लेन-देनों की सुरक्षा एवं बचाव  
    • ई-व्यवसाय जोखिम
    1. लेन-देन जोखिम
    2. डाटा संग्रहण एवं प्रसारण जोखिम
    3. बौद्धिक संपदा एवं निजता पर खतरे के जोखिम
  • सफल ई-व्यवसाय कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संसाधन  
  • बाह्यस्‍त्रोतीकरण - संकल्पना  
    1. बाह्यस्‍त्रोतीकरण में संविदा बाहर प्रदान करना सम्मिलित होता है
    2. सामान्यत: द्वितीयक (गैर मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों का ही बाह्यस्‍त्रोतीकरण हो रहा है
    3. प्रक्रियाओं का बाह्यस्‍त्रोतीकरण आबद्ध इकाई अथवा तृतीय पक्ष का हो सकता है
  • बाह्यस्‍त्रोतीकरण का कार्यक्षेत्र  
  • बाह्यस्‍त्रोतीकरण की आवश्यकता  
    1. ध्यान केंद्रित करना
    2. उत्कृष्‍टता की खोज
    3. लागत की कमी
    4. गठजोड़ द्वारा विकास
    5. आर्थिक विकास को प्रोत्साहन
  • बाह्यस्‍त्रोतीकरण के सरोकार  
    1. गोपनीयता
    2. परिश्रम (स्वेट) खरीददारी
    3. नैतिक सरोकार
    4. ग्रहदेशों में विरोध
6 व्यवसाय का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं व्यावसायिक नैतिकता
  • व्यवसाय का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं व्यावसायिक नैतिकता का परिचय  
  • सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा  
  • सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता  
    • सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में तर्क:
      1. अस्तित्व एवं विकास के लिए औचित्य
      2. फर्म का दीर्घकालीन हित
      3. सरकारी विनियम से बचाव
      4. समाज का रखरखाव
      5. व्यवसाय में संसाधनों की उपलब्धता
      6. समस्याओं का लाभकारी अवसरों में रूपांतरण
      7. व्यापारिक गतिविधियोें के लिए बेहतर वातावरण
      8. सामाजिक समस्यायों के लिए व्यवसाय उत्तरदायी
    • सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में मुख्य तर्क
      1. अधिकतम लाभ उद्देश्य पर अतिक्रमण
      2. उपभोक्ताओं पर भार
      3. सामाजिक दक्षता की कमी
      4.  विशाल जन-समर्थन का अभाव
    • सामाजिक उत्तरदायित्व की यथार्थवादिता
      1. सार्वजनिक नियमन की आशंका
      2. श्रम आंदोलनों का दबाव
      3. उपभोक्‍ता जागरण का प्रभाव
      4. व्यावसायियों केलिए सामाजिक मानकों का विकास
      5. व्यावसायिक शिक्षा का विकास
      6. सामाजिक हित तथा व्यावसायिक हितों में संबंध
      7. पेशेवर एवं प्रबंधकीय वर्ग का विकास
  • सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रकार  
    1. आर्थिक उत्तरदायित्व
    2. काननी  उत्तरदायित्व
    3. नैतिक उत्तरदायित्व
    4. विवेकशील उत्तरदायित्व
  • व्यवसाय का विभिन्न संबंधित वर्गों के प्रति उत्तरदायित्व  
    1.  व्यवसाय का अशं धारियोें अथवा स्वामियों के प्रति उत्तरदायित्व
    2. कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व
    3. उपभोक्‍ताओ के प्रति उत्तरदायित्व
    4. सरकार तथा समाज के प्रति उत्तरदायित्व
  • सामाजिक उत्तरदायित्व का मामला  
  • व्यवसाय तथा पर्यावरण संरक्षण  
    • पर्यावरण समस्याएँ
  • प्रदूषण के कारण  
    1. वायु प्रदूषण
    2. जल प्रदूषण
    3. भूमि प्रदूषण
    4. ध्वनि प्रदूषण
  • प्रदूषण नियंत्रण की आवश्यकत  
    1. स्वास्थ्य संबंधी आशंकाओ को कम करना
    2. दायित्वों के जोखिम को कम करना
    3.  लागत में बचत
    4. सार्वजनिक छवि में सधुार
    5. अन्य सामाजिक हित/लाभ
  • पर्यावरण संरक्षण में व्यवसाय की भूमिका  
  • व्यावसायिक नैतिकता  
    • व्यावसायिक नैतिकता की अवधारणा
  • व्यावसायिक नैतिकता के तत्व  
    1.  उच्च स्तरीय प्रबंध की प्रतिबद्धता
    2. सामान्य कोड का प्रकाशन
    3. अनुपालन तंत्र की स्थापना
    4. हर स्तर पर कर्मचारियों को सम्मिलित करना
    5. परिणामों का मापन

CBSE Class 11 [कक्षा ११] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for Chapter 2: भाग 2 - व्यावसायिक संगठन, वित्त एवं व्यापार

7 कंपनी निर्माण
  • कंपनी निर्माण का परिचय  
  • कंपनी की संरचना  
  • कंपनी प्रवर्तन  
  • कंपनी के प्रवर्तक के कार्य  
    1.  व्यवसाय के अवसर की पहचान करना
    2. संभाव्यता का अध्ययन
      a. तकनीकी संभाव्यता
      b. वित्तीय संभाव्यता
      c. आर्थिक संभाव्यता
    3. नाम का अनुमोदन
    4. संस्थापन प्रलेख के हस्ताक्षरकर्ताओ को निश्‍चित करना
    5. कुछ पेशेवर लोगों की नियुक्ति
    6. आवश्यक प्रलेखों को तैयार करना
  • कंपनी निर्माण के लिए जमा किए जाने वाले आवश्यक प्रलेख  
    1. संस्थापन प्रलख
      a. नाम खंड
      b. पंजीकृत कार्यालय खंड
      c. उद्देश्य खंड
      i. मुख्य उद्देश्य
      ii. अन्य उद्देश्य
      d. दायित्व खंड
      e. पूँजी खंड
    2. कंपनी के अंतर्नियम
    3. प्रस्तावित निर्देशकों की सहमति
    4. समझौता
    5. वैधानिक घोषणा
    6. फीस भगुतान की रसीद
    • पार्षद अंतर्नियम में सामान्यत: निम्नलिखित विषयवस्तु होती है
      1. पार्षद सीमा नियम के विभिन्न प्रारूप
      2. पार्षद अंतर्नियम के विभिन्न प्रारूप
  • प्रर्वतकाें की स्थिति  
  • समामेलन  
    • कंपनी के संस्थागत प्रलेख
    • कंपनी के अंतर्नियम
  • समामेलन प्रमाण पत्र का प्रभाव  
  • पूँजी अभिदान  
    1. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) का अनुमोदन
    2. प्रविवरण पत्र जमा करना
    3. बैंकर, ब्रोकर एवं अभिगोपनकर्ता की नियुक्‍ति
    4. न्यूनतम अभिदान
    5. शेयर बाज़ार में आवेदन
    6. अंशों का आवंटन
    • निदेशक पहचान सख्या (DIN) 
  • संस्थापन प्रलेख एवं अंतर्नियम में अंतर  
    • एक व्यक्‍ति कंपनी
8 व्यावसायिक वित्त के स्‍त्रोत
  • व्यावसायिक वित्त के स्‍त्रोत का परिचय  
  • व्यावसायिक वित्त का अर्थ, प्रकृति एवं महत्व  
    1. स्थायी पूँजी की आवश्यकता
    2. कार्यशील पूँजी की आवश्यकता
  • वित्त/धन के स्‍त्रोतों का वर्गीकरण  
    • अवधि के आधार पर
    • स्वामित्व के आधार पर
    • आंतरिक एवं बाह्य सुविधाओं के आधार पर
  • वित्त के स्‍त्रोत  
  • संचित आय  
    • गुण तथा सीमाएँ
  • व्यापारिक साख  
    • गुण तथा सीमाएँ
  • आढ़त  
    • विपत्रों को भुनाना (भय अथवा बिना साख) एवं ग्राहकों की लेनदारी को वसूल करना
    • संभावित ग्राहक आदि की साख के संबंध में सूचना देना
    • गुण तथा सीमाएँ
  • लीज वित्तीयन  
    • गुण तथा सीमाएँ
  • सार्वजनिक जमा  
    • गुण तथा सीमाएँ
  • वाणिज्यिक पत्र  
    • कमर्शियल पेपर
    • लाभ और सीमाएँ
  • अंशों का निर्गमन  
    • समता अंश
      गुण और सीमाएँ
    • पूर्वाधिकार अंश
      गुण और सीमाएँ
    • पूर्वाधिकार अंशों के प्रकार 
  • ॠण-पत्र  
    • ॠण-पत्रों के प्रकार 
    • गुण और सीमाएँ
  • वाणिज्यिक बैंक  
    • गुण और सीमाएँ
  • वित्तीय संस्थान  
    • गुण और सीमाएँ
    • विशिष्‍ट वित्तीय संस्थान 
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीयन  
    • वाणिज्यिक बैंक
    • अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी एवं विकास बैंक
    • अतंर्राष्ट्रीय पूँजी बाज़ार
      a. अंतर्राष्ट्रीय जमा रसीद 
      b. अमेरिकन जमा रसीद 
      c. भारतीय न्यासी रसीद 
      d. विदेशी करेंसी परिवर्तनीय बाँड 
    • अंतर-निगम निवेश (आई.सी.डी.)
  • कोषों के स्‍त्रोत के चयन को प्रभावित करने वाले तत्व  
    1. लागत
    2.  वित्तीय शक्‍ति एवं  प्रचालन  में स्थायित्व
    3.  संगठन के प्रकार एवं वैधानिक स्थिति
    4. उद्देश्य एवं समय अवधि
    5. जोखिम
    6. नियंत्रण
    7. साख पर प्रभाव
    8. लोचपूर्णता एवं सुगमता
    9. कर लाभ
  • अंतर कॉर्पोरेट जमा (आईसीडी)  
9 सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम और व्यावसायिक उद्यमिता
  • सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम और व्यावसायिक उद्यमिता की प्रस्तावना  
    1. मणिपुर के रोमी बैग्स 
    2. भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र की विविधता
  • सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम  
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की भूमिका  
    1. ग्रामीण उद्योग
    2. कुटीर उद्योग 
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ जुड़ी समस्याएँ  
    1. अर्थ-व्यवस्था
    2. कच्चा माल
    3. प्रबंधकीय कौशल
    4. विपणन (क्रय-विक्रय)
    5. गुणवत्ता
    6. क्षमता उपयोग
    7. वैश्‍विक प्रतिस्पर्धा 
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और उद्यमिता विकास  
    1.  व्यवस्थित गतिविधि
    2. वैध और उद्देश्यपूर्ण गतिविधि
    3. नवाचार
    4. उत्पादन प्रबंध
    5. जोखिम उठाना 
  • बौद्धिक संपदा अधिकार (आई.पी.आर.)  
    • स्टार्टअप इंडिया योजना
  • उद्यमियों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार क्यों महत्वपूर्ण है?  
  • बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रकार  
    • प्रकाशनाधिकार (कॉपीराइट)
    • व्यापार चिह्न (ट्रेडमार्क)
    • प्रकाशनाधिकार के तहत क्या संरक्षित है?
    • भौगोलिक संकेत
    • पेटेंट
    • क्या पेटेंट नहीं कराया जा सकता है?
    • डिज़ाइन
    • पौधों की किस्में
    • अर्धचालक एकीकृत परिपथ खाका डिज़ाइन
  • एमएसएमईडी अधिनियम 2006 द्वारा परिभाषित लघु उद्योग उद्यम  
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विशेष संदर्भ में भारत में लघु व्यवसाय की भूमिका  
  • लघु उद्योगों के लिए सरकारी योजनाएं और एजेंसियां  
10 आंतरिक व्यापार
  • आंतरिक व्यापार का परिचय  
  • आंतरिक व्यापार  
  • थोक व्यापार  
  • थोक विक्रेताओं की सेवाएँ  
  • विनिर्माताओं के प्रति थोक विक्रेताओं की सेवाएँ  
    1. बड़े पैमाने पर उत्पादन में सहायक
    2. जोखिम उठाना
    3. वित्तीय सहायता
    4. विशेषज्ञ सलाह
    5. विपणन में सहायक
    6. निरंतरता में सहायक
    7. संग्रहण 
  • फुटकर विक्रेताओं के प्रति थोक विक्रेताओं की सेवाएँ  
    1. वस्तुओ को उपलब्ध कराना
    2. विपणन में सहायक
    3. साख प्रदान कराना
    4. विशिष्‍ट ज्ञान
    5. जोखिम में भागीदारी 
  • फुटकर व्यापार  
    • फुटकर व्यापारियों की सेवाएँ
  • उत्पादकों एवं थोक विक्रेताओं के प्रति फुटकर व्यापारियों की सेवाएँ  
    1.  वस्तुओं के वितरण में सहायक
    2. व्यक्‍तिगत विक्रय
    3. बड़े पैमाने पर परिचालन में सहायक
    4. बाज़ार संबंधित  सूचनाएँ एकत्रित करना
    5. प्रवर्तन में सहायक
  • उपभोक्‍ताओं के प्रति फुटकर व्यापारियों की सेवाएँ  
    1. उत्पादों की नियमित उपलब्धता
    2. नये उत्पादों के संबंध में सचूना
    3. क्रय में सुविधा
    4. चयन के पर्याप्‍त अवसर
    5. बिक्री के बाद की सेवाएँ
    6. उधार की सुविधा
    • व्यापारिक मदें 
  • माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.)  
    • जी.एस.टी. की विशेषताएँ
    • जी.एस.टी. से संबंधित तथ्य
    • जी.एस.टी. परिषद् का संघटन
    • जी.एस.टी. के लाभ— नागरिकों का सशक्‍तिकरण
  • फुटकर व्यापार के प्रकार  
    1. भ्रमणशील फुटकर विक्रेता
    2. स्थायी दुकानदार
  • भ्रमणशील फुटकर विक्रेता  
    • भ्रमणशील फुटकर विक्रेता की विशेषताएँ
    1. फेरी वाले
    2. सावधिक बाज़ार व्यापारी
    3. पटरी विक्रेता
    4. सस्ते दर की दुकान 
  • स्थायी दुकानदार  
    • स्थायी दुकानदार के दो प्रकार:
    1. छोटे दकुानदार
    2. बड़े फुटकर विक्रेता
  • छोटे स्थायी फुटकर विक्रेता  
  • स्थायी दुकानें - बड़े पैमाने के भंडार गृह  
    • विभागीय भंडार
    • विभागीय भंडार की विशेषताएँ
  • विभागीय भंडारों के माध्यम से फुटकर व्यापार के लाभ  
    1. बड़ी संख्या में ग्राहकों को आकर्षित करना
    2. क्रय करना सुगम
    3. आकर्षक सेवाएँ
    4. बड़े पैमाने पर परिचालन के लाभ
    5. विक्रय में वृद्धि
  • विभागीय भंडारों के माध्यम से फुटकर व्यापार की सीमाएँ  
    • व्यक्‍तिगत ध्यान का अभाव
    • उच्च परिचालन लागत
    • हानि की संभावना अधिक
    • असुविधाजनक स्थिति
  • शृंखला भंडार अथवा बहुसंख्यक दुकानें  
  • श्रृंखला भंडार अथवा बहुसंख्यक दुकानों से लाभ  
    • बड़े पैमाने की मितव्ययता
    • मध्यस्थ की समाप्ति
    • कोई अशोध्य ॠण नहीं
    • वस्तुओं का हस्तांतरण
    • जोखिम का बिखराव
    • निम्न लागत
    • लोचपूर्णता
  • श्रृंखला भंडार अथवा बहुसंख्यक दुकानों से हानियाँ  
    • वस्तुओं का चयन सीमित
    • प्रेरणा का अभाव
    • व्यक्‍तिगत सेवा का अभाव
    • माँग में परिवर्तन कठिन
  • विभागीय भंडार एवं बहुसंख्यक दुकानों में अंतर  
    •  स्थिति, उत्पादों की श्रेणी, प्रदत्त सेवाएँ, कीमतें/ मूल्य, ग्राहकों का वर्ग, उधार की सुविधा, लोचपूर्ण
  • डाक आदेश गृह  
  • डाक आदेश गृह की सीमाएँ  
    • व्यक्‍तिगत सपंर्क की कमी
    • उच्च प्रवर्तन लागत
    • बिक्री के बाद की सेवा का अभाव
    • उधार की सुविधा की कमी
    • सुपुर्दगी में विलंब
    • दुरुपयोग की संभावना
    • डाक सेवाओं पर अधिक निर्भरता
  • डाक आदेश गृह से लाभ  
    • सीमित पूँजी की आवश्यकता
    • मध्यस्थों की समाप्ति
    • विस्तृत क्षेत्र
    • अशोध्य ॠण संभव नहीं
    • सुविधा 
  • उपभोक्‍ता सहकारी भंडार  
  • उपभोक्‍ता सहकारी भंडार से लाभ  
    • स्थापना सरल
    • सीमित दायित्व
    • प्रजातांत्रिक प्रबंध
    • कम कीमत
    • नकद बिक्री
    • सुविधाजनक स्थिति
  • उपभोक्‍ता सहकारी भंडार की सीमाएँ  
    • प्रेरणा का अभाव
    • कोषों की कमी
    • संरक्षण का अभाव
    • व्यावसायिक प्रशिक्षण का अभाव 
  • सुपर बाज़ार  
  • सुपर बाज़ार से लाभ  
    • एक छत कम लागत
    • केंद्र में स्थित
    • चयन के भारी अवसर
    • कोई अशोध्य ॠण नहीं
    • बड़े स्तर के लाभ
  • सुपर बाज़ार की सीमाएँ  
    1. उधार विक्रय नहीं
    2. व्‍यक्‍तिगत ध्यान की कमी
    3. वस्तुओ की अव्यवस्थित देख-रेख
    4. भारी ऊपरी व्यय
    5. भारी पूँजी की आवश्यकता
  • विक्रय मशीनें  
  • वाणिज्य एवं उद्योग सगठंनों की आंतरिक व्यापार संवर्धन में भूमिका  
    1. परिवहन अथवा वस्तुओं का अंतर्राज्यीय स्थानांतरण/आवागमन
    2. चुंगी एवं स्थानीय कर
    3.  बिक्री कर ढाँचा एवं मूल्य संबंधित कर में एकरूपता
    4. कृषि उत्पादों के विपणन एवं इससे जुड़ी समस्याएँ
    5. माप-तौल तथा ब्रांड वस्तुओं की नकल को रोकना
    6. उत्पादन कर
    7. सुदृढ़ मूलभूत ढाँचे का प्रवर्तन
    8. श्रम कानून
11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यापार का परिचय  
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय/व्यापार का अर्थ  
    • भारत वैश्‍वीकरण की राह पर 
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय के कारण  
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय बनाम घरेलू व्यवसाय  
    1. क्रेताओ एवं विक्रेताओं की राष्ट्रीयता
    2. अन्य हितार्थियों की राष्‍ट्रीयता
    3. उत्पादन के साधनों में गतिशीलता
    4. विदेशी बाज़ारों मेेें ग्राहक
    5. व्यवसाय पद्धतियों एवं आचरण में अंतर
    6. राजनीतिक प्रणाली एवं जोखिमें
    7. व्यवसाय के नियम एवं नीतियाँ
    8. व्यावसायिक लेन-देनों के लिए प्रयुक्‍त मुद्रा 
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय का क्षेत्र  
    1. वस्तुओ का आयात एवं निर्यात
    2. सेवाओं  का आयात एवं निर्यात
    3. लाइसेंस एवं फ्रैंचाइज़ी
    4. विदेशी निवेश
    • घरेलू एवं अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय में कुछ प्रमुख अंतर
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय के लाभ  
    • राष्‍ट्रों को लाभ
      1. विदेशी मुद्रा का अर्जन
      2. संसाधनों का अधिक क्षमता से उपयोग
      3. विकास की संभावनाओं  एवं रोज़गार के अवसरों में सुधार
      4. जीवन स्तर में वृद्धि
    • फर्मों को लाभ
      1. उच्च लाभ की संभावनाएँ
      2. बढ़ी हुई क्षमता का उपयोग
      3. विकास की संभावनाएँ
      4. आंतरिक बाज़ार में घोर प्रतियोगिता से बचाव
      5. व्यावसायिक दृष्‍टिकोण
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवसाय में प्रवेश की विधियाँ  
  • आयात  
    • आयात की संकल्पना
  • आयात के लाभ  
  • आयात की सीमाएँ  
  • आयात प्रक्रिया  
    1. व्यापारिक पूछता
    2. आयात लाइसेंस प्राप्‍त करना
    3.  विदेशी मुद्रा का प्रबंध करना
    4. आदेश अथवा इंडैंट भेजना
    5. साख पत्र प्राप्‍त करना
    6.  वित्त की व्यवस्था करना
    7. जहाज़ से माल भेज दिए जाने की सूचना की प्राप्ति
    8. आयात प्रलेखों को छुड़ाना
    9. माल का आगमन
    10. सीमा शुल्क निकासी एवं माल को छुड़ाना
    • आयात लेन-देनों में प्रयुक्‍त प्रमुख प्रलेख
  • निर्यात  
    • निर्यात की संकल्पना
  • निर्यात से लाभ  
  • निर्यात की सीमाएँ  
  • निर्यात प्रक्रिया  
    1. पूछताछ प्राप्‍त करना एवं निर्ख भेजना
    2. आदेश अथवा इंडैंट की प्राप्‍त‍ि
    3. आयातक की साख का आँकलन एवं भुगतान की गारंटी प्राप्‍त करना
    4. निर्यात लाइसेंस प्राप्‍त करना
    5. माल प्रेषण से पूर्व वित्त करना
    6. वस्तुओ का उत्पादन एवं अधिप्राप्ति
    7. जहाज़ लदान निरीक्षण
    8. उत्पाद शुल्क की निकासी
    9. उद्गम प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करना
    10. जहाज़ में स्थान का आरक्षण
    11. पैकिंग एवं माल को भेजना
    12. वस्तुओ का बीमा
    13. कस्टम निकासी
    14. जहाज़ के कप्‍तान की रसीद (मेट्स रिसीप्ट) प्राप्‍त करना
    15. भाड़े का भुगतान एवं जहाज़ी बिल्टी का बीमा
    16. बीजक बनाना
    17. भुगतान प्राप्‍त करना
    • निर्यात लेन-देन में प्रयुक्‍त होने वाले प्रमुख प्रलेख
  • संविदा विनिर्माण  
    • लाभ और सीमाएँ
  • अनुज्ञप्‍त‍ि लाइसैंस एवं मताधिकारी  
    • लाभ और सीमाएँ
  • संयुक्त उपक्रम  
  • संपूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाइयाँ/कंपनीयंँ  
    • लाभ और सीमाएँ
  • विदेशी व्यापार प्रोन्नति–प्रोत्साहन एवं संगठनात्मक समर्थन  
  • विदेशी व्यापार प्रोन्नति विधियाँ एवं योजनाएँ  
  • संगठन समर्थन  
    • वाणिज्य विभाग
    • निर्यात प्रोन्नति परिषद् (ई.पी.सी.)
    • सामग्री बोर्ड
    • निर्यात निरीक्षण परिषद् (ई.आई.सी.)
    • भारतीय व्यापार प्रोन्नति संगठन (आई. टी.पी.ओ.)
    • भारतीय विदेशी व्यापार संस्थान
    • भारतीय पैकेजिंग संस्थान (आई.आई.पी.)
    • राज्य व्यापार संगठन 
  • अंतर्राष्‍ट्रीय व्यापार संस्थान एवं व्यापार समझौते  
  • विश्‍व बैंक  
  • अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ़.)  
    1. आई.एम.एफ़. के उद्देश्य
    2. अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य  
  • विश्‍व व्यापार सगठन (डब्ल्यू .टी.ओ.) एवं प्रमुख समझौते  
    • विश्‍व व्यापार संगठन के उद्देश्य
    • विश्‍व व्यापार सगठन के कार्य
    • विश्‍व व्यापार संगठन के लाभ
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार या निर्यात व्यापार में शामिल दस्तावेज़ - इंडेंट, साख पत्र, शिपिंग ऑर्डर, शिपिंग बिल और मेट की रसीद (डीए/डीपी)  

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