CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Syllabus - Free PDF Download
CBSE Syllabus 2025-26 Class 12 [कक्षा १२]: The CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Syllabus for the examination year 2025-26 has been released by the Central Board of Secondary Education, CBSE. The board will hold the final examination at the end of the year following the annual assessment scheme, which has led to the release of the syllabus. The 2025-26 CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Board Exam will entirely be based on the most recent syllabus. Therefore, students must thoroughly understand the new CBSE syllabus to prepare for their annual exam properly.
The detailed CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Syllabus for 2025-26 is below.
CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Revised Syllabus
CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) and their Unit wise marks distribution
CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Course Structure 2025-26 With Marking Scheme
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Syllabus
CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Syllabus for Chapter 1: स्वतंत्र भारत में राजनीति
- नए राष्ट्र की चुनौतियाँ
- तीन चुनौतियाँ
- पहली और तात्कालिक चुनौती एकता के सूत्र में बंधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की थी जिसमें भारतीय समाज की सारी विविधताओं के लिए जगह हो।
- दूसरी चुनौती लोकतंत्र को कायम करने की थी।
- तीसरी चुनौती थी ऐसे विकास की जिससे समूचे समाज का भला होता हो न कि कुछ एक तबकों का।
- विभाजन - विस्थापन और पुनर्वास
- विभाजन की प्रक्रिया
- विभाजन के परिणाम
- रजवाड़ों का विलय
- समस्या
- सरकार का नज़रिया
- हैदराबाद
- मणिपुर
- राज्यों का पुनर्गठन
- एक दल के प्रभुत्व का दौर
- लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती
- मतदान के बदलते तरीके
- पहले तीन चुनावों में कांग्रेस का प्रभुत्त
- कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति
- कांग्रेस एक सामाजिक और विचारधारात्मक गठबंधन के रूप में
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया
- गुटों में तालमेल और सहनशीलता
- भारतीय जनसंघ
- विपक्षी पार्टियों का उद्भव
- स्वतंत्र पार्टी
- नियोजित विकास की राजनीति
- राजनीतिक फ़ैसले और विकास
- राजनीतिक टकराव
- विकास की धारणाएँ
- योजना आयोग
- शुरुआती कदम
- प्रथम पंचवर्षीय योजना
- औद्योगीकरण की तेज़ रफ्तार
- मुख्य विवाद
- कृषि बनाम उद्योग
- निजी क्षेत्र बनाम सार्वजनिक क्षेत्र
- मुख्य परिणाम
- बुनियाद
- भूमि सुधार
- हरित क्रांति
- बाद के बदलाव
- अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ
- गुटनिरपेक्षता की नीति
- नेहरू की भूमिका
- दो खेमों से दूरी
- एफ्रो-एशियाई एकता
- चीन के साथ शांति और संघर्ष
- चीनी का आक्रमण, 1962
- 1962 के बाद भारत-चीन संबंध
- पाकिस्तान के साथ युद्ध और शांति
- बांग्लादेश युद्ध, 1971
- भारत की परमाणु नीति
- भारत का परमाणु कार्यक्रम
- राजनीतिक उत्तराधिकार की चुनौती
- नेहरू के बाद शास्त्री
- शास्त्री के बाद इंदिरा गाँधी
- चौथा आम चुनाव, 1967
- चुनाव का संदर्भ
- गैर कांग्रेसवाद
- चुनाव का जनादेश
- गठबंधन
- दल-बदल
- कांग्रेस में विभाजन
- इंदिरा बनाम सिंडिकेट
- राष्ट्रपति पद का चुनाव, 1969
- 1971 का चुनाव और कांग्रेस का पुनर्स्थापन
- मुकाबला
- परिणाम और उसके बाद
- कांग्रेस प्रणाली का पुनर्स्थापन?
- आपातकाल की पृष्ठभूमि
- आर्थिक संदर्भ
- गुजरात और बिहार के आंदोलन
- न्यायपालिका से संघर्ष
- आपातकाल की घोषणा
- संकट और सरकार का फ़ैसला
- परिणाम
- आपातकाल के संदर्भ में विवाद
- क्या 'आपातकाल' जरूरी था?
- आपातकाल के दौरान क्या-क्या हुआ?
- आपातकाल के सबक
- आपातकाल के बाद की राजनीति
- लोकसभा के चुनाव, 1977
- जनता सरकार
- विरासत
- जन आंदोलनों की प्रकृति
- चिपको आंदोलन
- दल-आधारित आंदोलन
- राजनीतिक दलों से स्वतंत्र आंदोलन
- दलित पैंथर्स
- उदय
- गतिविधि
- भारतीय किसान यूनियन
- उदय
- विशेषताएँ
- ताड़ी-विरोधी आंदोलन
- उदय
- आंदोलन की कड़ियाँ
- नर्मदा बचाओ आंदोलन
- सरदार सरोवर परियोजना
- वाद-विवाद और संघर्ष
- जन आंदोलन के सबक
- क्षेत्र और राष्ट्र
- भारत सरकार का नज़रिया
- तनाव के दायरे
- जम्मू एवं कश्मीर
- समस्या की जड़ें
- बाहरी और आंतरिक झगड़े
- 1948 से राजनीति
- सशस्त्र विद्रोह और उसके बाद
- 2002 और इससे आगे
- पंजाब
- राजनीतिक संदर्भ
- हिंसा का चक्र
- शांति की ओर
- पूर्वोत्तर
- स्वायत्तता की माँग
- अलगाववादी आंदोलन
- बाहरी लोगों के खिलाफ़ आंदोलन
- समाहार और राष्ट्रीय अखंडता
- 1990 का दशक
- गठबंधन का युग
- कांग्रेस का पतन
- गठबंधन की राजनीति
- केंद्रीय सरकार 1989 के बाद
- अन्य पिछड़ा वर्ग का राजनीतिक उदय
- 'मंडल' का लागू होना
- राजनीतिक परिणाम
- सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र
- अयोध्या विवाद
- विध्वंस और उसके बाद
- गुजरात के दंगे
- एक नयी सहमति का उदय
- 2004 के लोकसभा चुनाव
- बढ़ती सहमति
CBSE Class 12 [कक्षा १२] Political Science (राजनीति विज्ञान) Syllabus for Chapter 2: समकालीन विश्व राजनीति
- शीतयुद्ध का दौर का परिचय
- क्यूबा का मिसाइल संकट
- शीतयुद्ध
- दो-ध्रुवीय विश्व का आरंभ
- शीतयुद्ध के दायरे
- दो-ध्रुवीयता को चुनौती - गुटनिरपेक्षता
- नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था
- भारत और शीतयुद्ध
- दो-ध्रुवीयता के अंत का परिचय
- सोवियत प्रणाली क्या थी?
- गोर्बाचेव और सोवियत संघ का विघटन
- सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ?
- विघटन की परिणतियाँ
- साम्यवादी शासन के बाद के 'शॉक थेरेपी'
- 'शॉक थेरेपी' के परिणाम
- संघर्ष और तनाव
- पूर्व-साम्यवादी देश और भारत
- समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व का परिचय
- आयशा, जाबू और आंद्रेई
- नयी विश्व-व्यवस्था की शुरुआत
- क्लिंटन का दौर
- 9/11 और 'आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध'
- इराक पर आक्रमण
- वर्चस्व
- क्या होता है वर्चस्व का अर्थ?
- वर्चस्व - सैन्य शक्ति के अर्थ में
- वर्चस्व - ढांचागत ताकत के अर्थ में
- वर्चस्व - सांस्कृतिक अर्थ में
- अमरीकी शक्ति के रास्ते में अवरोध
- अमरीका से भारत के संबंध
- वर्चस्व से कैसे निपटें?
- सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र का परिचय
- यूरोपीय संघ
- दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान)
- चीनी अर्थव्यवस्था का उत्थान
- चीन के साथ भारत के संबंध
- समकालीन दक्षिण एशिया का परिचय
- क्या है दक्षिण एशिया?
- पाकिस्तान में सेना और लोकतंत्र
- बांग्लादेश में लोकतंत्र
- नेपाल में राजतंत्र और लोकतंत्र
- श्रीलंका में जातीय संघर्ष और लोकतंत्र
- भारत-पाकिस्तान संघर्ष
- भारत और उसके अन्य पड़ोसी देश
- शांति और सहयोग
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन का परिचय
- हमें अंतर्राष्ट्रीय संगठन क्यों चाहिए?
- संयुक्त राष्ट्रसंघ का विकास
- शीतयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार
- प्रक्रियाओं और ढाँचे में सुधार
- संयुक्त राष्ट्रसंघ का न्यायाधिकार
- संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार और भारत
- एक-ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्रसंघ
- समकालीन विश्व में सुरक्षा का परिचय
- सुरक्षा क्या है?
- पारंपरिक धारणा - बाहरी सुरक्षा
- पारंपरिक धारणा - आंतरिक सुरक्षा
- सुरक्षा के पारंपरिक तरीके
- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा
- खतरे के नये स्रोत
- सहयोगमूलक सुरक्षा
- भारत - सुरक्षा की रणनीतियाँ
- पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन का परिचय
- वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता क्यों?
- विश्व की साझी संपदा की सुरक्षा
- साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ
- साझी संपदा
- पर्यावरण के मसले पर भारत का पक्ष
- पर्यावरण आंदोलन - एक या अनेक?
- संसाधन की भू-राजनीति
- मूलवासी और उनके अधिकार
- वैश्वीकरण की अवधारणा
- वैश्वीकरण के कारण
- राजनीतिक प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव
- सांस्कृतिक प्रभाव
- भारत और वैश्वीकरण
- वैश्वीकरण का प्रतिरोध
- भारत और वैश्वीकरण का प्रतिरोध