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छोटी टिप्पणी में छपी किताबों को लेकर इरैस्मस के विचार के बारे में बताएँ - - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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प्रश्न

छोटी टिप्पणी में छपी किताबों को लेकर इरैस्मस के विचार के बारे में बताएँ -

संक्षेप में उत्तर

उत्तर

लातिन का विद्वान और कैथलिक धर्म सुधारक इरैस्मस छपाई को लेकर बहुत आशंकित था। उसने अपनी पुस्तक एडेजेज़ में लिखा था कि पुस्तकें भिनभिनाती. मक्खियों की तरह हैं, दुनिया का कौन-सा कोना है, जहाँ ये नहीं पहुँच जातीं? हो सकता है कि जहाँ-जहाँ एकाध जानने लायक चीजें भी बताएँ, लेकिन इनका ज्यादा हिस्सा तो विद्वता के लिए हानिकारक ही है। बेकार ढेर है क्योंकि अच्छी चीजों की अति भी अति ही है, इनसे बचना चाहिए। मुद्रक दुनिया को सिर्फ तुच्छ किताबों से ही नहीं पाट रहे बल्कि बकवास, बेवकूफ़, सनसनीखेज, धर्मविरोधी, अज्ञानी और षड्यंत्रकारी किताबें छापते हैं, और उनकी तादाद ऐसी है कि मूल्यवान साहित्य का मूल्य ही नहीं रह जाता। इरैस्मस की छपी किताबों पर इस तरह के विचारों से प्रतीत होता है कि वह छपाई की बढ़ती तेज़ी और पुस्तकों के प्रसार से आशंकित था, उसे डर था कि इसके बुरे प्रभाव हो सकते हैं तथा लोग अच्छे साहित्य के बजाए व्यर्थ व फ़िजूल की किताबों से भ्रमित होंगे।

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मुद्रण क्रांति और उसका असर - मुद्रण और प्रतिरोध
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अध्याय 5: मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया - संक्षेप में लिखें [पृष्ठ १२८]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Social Science (History) - India and the Contemporary World 2 [Hindi] Class 10
अध्याय 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
संक्षेप में लिखें | Q 2. (ख) | पृष्ठ १२८
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