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प्रश्न
हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे किस प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है?
उत्तर
भारतीय भूखंड पूर्वी एवं पश्चिमी एशिया के केंद्र में स्थित है। जो भाग एशिया महाद्वीप से जुड़ा है। (भू-मार्ग एवं पर्वतीय दरों की सहायता से) वही भाग इसे उत्तर, पश्चिम एवं पूर्व दिशा में इसके पड़ोसी देशों से जोड़ता है।
दक्षिण प्रायद्वीपीय भाग हिंद महासागर के अंदर दूर तक चला गया है जिससे भारत को पश्चिमी तट से पश्चिम एशियाई, अफ्रीका और यूरोप तथा दक्षिणपूर्वी एवं पूर्वी तट से पूर्व एशिया के देशों के साथ नजदीकी संबंध बनाने में मदद मिलती है।
भारत की सामरिक स्थिति ने प्राचीन समय से ही जल एवं थल मार्ग से विचारों एवं सामान के आदान-प्रदान में सहायता प्रदान की है। यही कारण है कि हिंद महासागर में भारत की स्थिति अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर में पर्वतों के आर-पार जाने वाले विभिन्न दरों से प्राचीन यात्रियों को आने-जाने का मार्ग मिलता था। उपनिषदों, रामायण, पंचतंत्र की कहानियों, भारतीय अंकों और देश्मलव प्रणाली संबंधित विचार इसी माध्यम से विश्व के अन्य भागों में पहुँचा था।
मसाले, मलमल और व्यापार का अन्य सामान भारत से अन्य देशों में ले जाया जाता था। दूसरी ओर यूनानी मूर्तिकला, पश्चिम एशिया से विभिन्न प्रकार के गुंबद एवं मीनार बनाने की भवननिर्माण कला देश के विभिन्न भागों में देखी जा सकती है।
हिंद महासागर में किसी भी अन्य देश का समुद्र तट भारत जितना बड़ा नहीं हैं और वास्तव में हिंद महासागर में भारत की महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण ही इस महासागर का नामकरण भारत के नाम पर किए जाने को सही ठहराता है।
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