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प्रश्न
जिन जगहों की साँस में बाँस बसा है, अखबार और टेलीविजन के ज़रिये उन जगहों की कैसी तसवीर तुम्हारे मन में बनती है?
उत्तर
साँस में बाँस बसे होने का अर्थ है बॉस पर ही जीवन निर्भर होना। इस बात को समझने के लिए हमें उन जगहों की यात्रा करनी होगी जहाँ बाँस का उद्योग फल-फूल रहा है। उनके इलाकों में हर तरफ बॉस के झुरमुट या बाड़ियाँ नजर आती हैं। लोग बॉस के बने घरों में रहते हैं, बाँस की बनी टोपियाँ पहनते हैं। उनके फर्नीचर, बरतन, औजार और कुछ खाद्य पदार्थ भी बाँस के बने होते हैं। बाँस पर ही उनका रोजगार भी टिका है। बाँस की बनी वस्तुएँ वे बाजार में बेचते हैं, जैसे-टोकरी, जाल, चटाई, खिलौने आदि। उनके घरों के आस-पास बाँस की चीरी हुई खपच्चियाँ बिखरी दिखाई देती हैं। अगर बाँस न हो, तो उनकी रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी। वे अपनी अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाँस पर निर्भर रहते हैं।
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संबंधित प्रश्न
नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो-
पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबन्धु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय, और ज्ञानी।
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राम
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सीता
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लक्ष्मण
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कैकेयी
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रावण
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हनुमान
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विभीषण
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भरत
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रावण-वध क्या शिक्षा देता है?
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थीं?
चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो-
(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
(ख) दो किलो अनाज दे दो।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
लेखिका बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थी ?
(क) केशव ने झुँझलाकर कहा
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला
(ग) केशव घबराकर उठा
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा.
(ङ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा.
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। 'कर' वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।
बहुविकल्पी प्रश्न
केशव और श्यामा ने चिड़ियों के खाने के लिए क्या बिखेरा?
सूर्य का चित्र किसका द्योतक बन गया?
कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों?
मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।
बहुविकल्पीय प्रश्न
मोहन ने पिता के दफ़तर में क्या खाया था?
कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम क्यों नहीं बनाते थे? वे राजप्पा और नागराजन के अलबम के दर्शक मात्र क्यों रहे जाते हैं? अपने शिक्षक को बताओ।
निम्नलिखित शब्दों को कहानी में ढूँढ़कर उनका अर्थ समझो। अब स्वयं सोचकर इनसे वाक्य बनाओ-
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खोंसना
जमघट
टटोलना
कुढ़ना
अगुआ
पुचकारना
खलना
हेकड़ी
लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है?
'प्रकृति का जादू' किसे कहा गया है?
अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।