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महाराष्ट्र स्टेट बोर्डएसएससी (हिंदी माध्यम) १० वीं कक्षा

‘संगणक की आत्मकथा’ इस विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए। - Hindi [हिंदी]

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प्रश्न

‘संगणक की आत्मकथा’ इस विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।

संक्षेप में उत्तर

उत्तर

संगणक की आत्मकथा

मैं संगणक बोल रहा हूँ। आज दुनिया में मेरे बिना कोई भी काम करना आसान नहीं है। दुनिया में मेरी उपयोगिता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मेरे निर्माण के बाद पूरा संसार दिन-प्रतिदिन सफलता प्राप्त कर रहा है। मैंने हर काम को आसान कर दिया है। जिन कामों को करने में अधिक समय लगता था आज वह काम मिनटों में हो जाता है। हर इंसान मेरा उपयोग कर रहा है। मुझे बड़ी खुशी होती है कि मेरे निर्माण से आप लोगों के जीवन में खुशियाँ आई है। आज मेरा उपयोग हर क्षेत्र में किया जा रहा है।

जब मेरा निर्माण नहीं हुआ था तब यह दुनिया सफलता प्राप्त नहीं कर पा रही थी लेकिन जब से मेरा जन्म हुआ है तब से यह दुनिया निरंतर प्रगति के रास्ते पर चल रही है। मेरे कारण ही आज लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। 

पहले जब किसी को अपने रिश्तेदार की जानकारी प्राप्त करना होती थी तो वह पत्र के माध्यम से अपने रिश्तेदार के हाल-चाल प्राप्त करता था और 15 से 20 दिनों में उस खत का जवाब मिल पाता था लेकिन जब से मेरा निर्माण हुआ है तब से मेरे द्वारा ई-मेल के माध्यम से लाखों हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति का हाल चाल जान सकते हैं। यह सब मेरे कारण ही संभव हो पाया है। वैज्ञानिक भी विज्ञान की खोज करने के लिए मेरा उपयोग कर रहे है।

मेरा उपयोग करने से कीमती समय बर्बाद होने से बच रहा है। आज दुनिया की हर तरह की जानकारी मेरे माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। मेरे अंदर हर तरह का डाटा सेव करके रखा जा सकता है। पहले किसी हिसाब किताब को संभाल कर रखने के लिए मोटी मोटी फाइलें का उपयोग किया जाता था। लेकिन जब से मेरा जन्म हुआ है तब से सभी लोग अपनी फाइले मेरे अंदर ही संभाल कर रखते हैं। मेरे अंदर अपार डाटा संभाल कर रखने की क्षमता है।

आज मेरे माध्यम से लोग घर पर ही अपनी जरूरत के सामान ऑनलाइन के माध्यम से मँगा लेते हैं। शिक्षा के क्षेत्र से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र एवं बिजनेस के क्षेत्र तक मैंने अपना योगदान दिया है। मैं यह सोचता हूँ कि यदि मेरा जन्म नहीं होता तो यह दुनिया आगे नहीं बढ़ पाती।

आज मैं बहुत खुश हूँ कि इस दुनिया को सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाने में मेरा बहुत बड़ा योगदान है। मेरा जन्म पूरी संसार को सफलता दिलाने के लिए हुआ है। मैं अपने माध्यम से लोगों की जरूरतों को पूरा करता हूँ और करता रहूँगा।

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निबंध लेखन
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अध्याय 2.06: मानस का हंस - उपयोजित लेखन [पृष्ठ ८९]

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बालभारती Hindi - Kumarbharati 10 Standard SSC Maharashtra State Board
अध्याय 2.06 मानस का हंस
उपयोजित लेखन | Q १. | पृष्ठ ८९
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