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भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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प्रश्न

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं?

टीपा लिहा

उत्तर

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं- अक्षांश, तुंगता, ऊँचाई, वायु दाब एवं पवन तंत्र, समुद्र से दूरी, महासागरीय धाराएँ तथा उच्चावच लक्षण।

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जलवायु का परिचय
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पाठ 4: जलवायु - अभ्यास [पृष्ठ ४०]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Social Science - Contemporary India 1 [Hindi] Class 9
पाठ 4 जलवायु
अभ्यास | Q 2. (i) | पृष्ठ ४०

संबंधित प्रश्‍न

भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाएँ-

  1. 400 सें.मी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
  2. 20 सें.मी. से कम वर्षा वाले क्षेत्र
  3. भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा

पता लगाएँ कि आपके क्षेत्र में एक विशेष मौसम से कौन से गाने, नृत्य, पर्व एवं भोजन संबंधित हैं? क्या भारत के दूसरे क्षेत्रों से इनमें कुछ समानता है?


भारत के विभिन्न क्षेत्रों के विशेष ग्रामीण मकानों तथा लोगों की वेश-भूषा के फोटोग्राफ इकट्ठे कीजिए। देखिए कि क्या उनमें और उन क्षेत्रों की जलवायु की दशाओं तथा उच्चावच में कोई संबंध है।


दस स्थानों को तीन भिन्न क्रमों में लिखिए-

  1. विषुवत् वृत्त से उनकी दुरी के क्रम में
  2. समुद्रतल से उनकी ऊँचाई के क्रम में

  1. सर्वाधिक वर्षा वाले दी स्थान
  2. दो शुष्कतम स्थान
  3. सर्वाधिक समान जलवायु वाले दो स्थान
  4. जलवायु में अत्यधिक अंतर वाले दो स्थान
  5. दक्षिण-पश्चिम मानसून को अरब सागर शाखा के द्वारा सर्वाधिक प्रभावित दो स्थान
  6. दक्षिण - पश्चिम मानसून को बंगाल की खाड़ी शाखा द्वारा सर्वाधिक प्रभावित दो स्थान
  7. दोनों से प्रभावित दो स्थान
  8. लौटती हुई तथा उत्तर पूर्वी मानसून से प्रभावित दो स्थान
  9. पश्चिमी विक्षोभों के द्वारा शीत ऋतु में वर्षा प्राप्त करने वाले दो स्थान
  10. संपूर्ण भारत सर्वाधिक वर्षा वाले दो महीने
  11. निम्नलिखित महीनों में सर्वाधिक गर्म दो महीने
    फरवरी
    अप्रैल
    मई
    जून

निम्नलिखित महीने में सर्वाधिक गर्म दो स्थान

फरवरी


निम्नलिखित महीने में सर्वाधिक गर्म दो स्थान

अप्रैल


निम्नलिखित महीने में सर्वाधिक गर्म दो स्थान

जून


अब सोचिए ! ऐसा क्यों होता है-

देश के अधिकतर भागों में मानसूनी वर्षा के समाप्त होने के बाद ही चेन्नई में अधिक वर्षा होती है।


अब सोचिए ! ऐसा क्यों होता है-

लेह में लगभग पुरे वर्ष मध्य वर्षण होती है।


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