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प्रश्न
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना”-
इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है
(तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना।
इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आप के बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है।)
निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं-
मैं अपने आप (या आप) घर चली जाऊँगी।
बब्बन अपना काम खुद करता है।
सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।
अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो।
- अपने को
- अपने से
- अपना
- अपने पर
- अपने लिए
- आपस में
उत्तर
- अपने को- हमें अपने को दुश्मन से बचाना है।
- अपने पर- मुझे अपने पर भरोसा है।
- अपने से- अपने से बड़े व्यक्तियों की बात मानना चाहिए।
- अपने लिए- हमें अपने लिए कुछ वक्त निकलना चाहिए।
- अपना- आप इसे अपना ही समझिए।
- आपस में- आपस में झगड़े मत करो।
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जानकारी प्रस्तुत करने के निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं-
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रामकथा का नाम
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रचनाकार का नाम
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भाषा/प्रांत
“नगर में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। धूमधाम से।” (पृष्ठ-3)
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