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प्रश्न
कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने में उसके भाई का कितना योगदान था? इससे लेखक के चरित्र में किन-किन जीवन मूल्यों की झलक मिलती है?
उत्तर
लेखक कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का काम संभवतः करने की सोच भी न पाता, यदि उसे अपने भाई का सहयोग न मिलता। लेखक ने दृढ़ संकल्प से अपनी दुविधा पर विजयी पाई। उसने चिट्ठियाँ निकालने के लिए अपनी दो धोतियाँ तथा अपने छोटे भाई की दोनों धोतियों के अलावा वह धोती भी बाँधी जिसमें भुनवाने के लिए चने बँधे थे, को परस्पर बाँधा। अब उसके छोर पर एक डंडा बाँधकर उसने कुएँ में लटका दिया और दूसरे हिस्से को कुएँ की डेंग में बाँधकर इसे अपने भाई को पकड़ा दिया। इसके बाद वह चिट्ठियाँ उठाने के लिए कुएँ में उतर गया। अदम्य साहस और बुद्धि कौशल का परिचय देते हुए चिट्ठियाँ निकालने में वह सफल हो गया। इस कार्य से लेखक के साहसी होने, बुद्धिमान होने, योजनानुसार कार्य करने तथा भाई से असीम लगाव रखने जैसे उच्च जीवन मूल्यों की झलक मिलती है।
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