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प्रश्न
मैंने समझा वारिस कौन? पाठ से
अति संक्षिप्त उत्तर
उत्तर
हमारे बड़ों द्वारा दिए गए कार्य के पीछे जरूर कोई मकसद होता है, इसलिए हमें अपनी बुद्धि का प्रयोग कर उस कार्य में श्रेष्ठ फल पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। अपने प्रयासों से ही हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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उपयोजित / रचनात्मक लेखन (लेखन कौशल)
या प्रश्नात किंवा उत्तरात काही त्रुटी आहे का?
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मैंने समझा अनमोल वाणी कविता से
मैंने समझा खेती से आई तब्दीलियाँ पाठ से
संदर्भ स्रोतों द्वारा निम्न रोगों से बचने के लिए दिए जाने वाले टीकों की जानकारी सुनो और संकलित करो :
रोग | टीका | रोग | टीका |
तपेदिक(टीबी) | बी.सी.जी | टायफॉइड (मोतीझरा) | ______ |
डिप्थीरिया | ______ | रुबेला | ______ |
खसरा | ______ | हैपेटाइटिस ए | ______ |
रोटावायरस | ______ | टिटनस | ______ |
।। हम सब एक हैं ।।
चित्र पहचानकर उनके नाम लिखो:
____________
दिए गए चित्रों के आधार पर उचित और आकर्षक विज्ञापन तैयार करो।
यदि भोजन से नमक गायब हो जाए तो...
अपनी कक्षा द्वारा की गई किसी क्षेत्रभेंट का वर्णन लिखिए।
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर इसपर आधारित ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए. जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों:
“कोई काम छोटा नहीं। कोई काम गंदा नहीं। कोई भी काम नीचा नहीं। कोई काम असंभव भी नहीं कि व्यक्ति ठान ले और ईश्वर उसकी मदद न करे। शर्त यही है कि वह काम, काम का हो। किसी भी काम के लिए 'असंभव', 'गंदा' या 'नीचा' शब्द मेरे शब्दकोश में नहीं है।'' ऐसी वाणी बोलने वाली मदर टेरेसा को कोढ़ियों की सेवा करते देखकर एक बार एक अमेरिकी महिला ने कहा, “मैं यह कभी नहीं करती।'' मदर टेरेसा के उपरोक्त संक्षिप्त उत्तर से वह महिला शर्म से सिकुड़ गई थी। सचमुच ऐसे कार्य का मूल्य क्या धन से आँका जा सकता है या पैसे देकर किसी की लगन खरीदी जा सकती है ? यह काम तो वही कर सकता है, जो ईश्वरीय आदेश समझकर अपनी लगन इस ओर लगाए हो। जो गरीबों, वंचितों, जरूरतमंदों में ईश्वरीय उपासना का मार्ग देखता हो और दुखी मानवता में उसके दर्शन करता हो। ईसा, गांधी, टेरेसा जैसे परदुखकातर, निर्मल हृदयवाले लोग ही कोढ़ियों और मरणासन्न बीमारों की सेवा कर सकते हैं और 'निर्मल हृदय' जैसी संस्थाओं की स्थापना करते हैं। |