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प्रश्न
निम्नलिखित के प्रभाव की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिपण्णी लिखें -
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।
थोडक्यात उत्तर
उत्तर
महामंदी का प्रभाव जहाँ पश्चिमी देशों पर बडे भयंकर तौर पर पड़ा वहीं उपनिवेशों पर भी इसका प्रभाव पड़ा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ा जो इस प्रकार था -
- व्यापारिक क्षेत्र – 20 वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में भारत से कृषि वस्तुओं का निर्यात और निर्मित सामान का आयात बड़े पैमाने पर होने लगा था। महामंदी के कारण इस प्रक्रिया पर भी बुरा असर पड़ा। 1928-34 के बीच आयात का प्रतिशत आधा रह गया था क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ गई थीं।
- कृषि उत्पादों पर प्रभाव – इस मंदी के कारण उन कृषि उत्पादों और उनसे निर्मित सामानों पर भारी असर पड़ा जिनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग थी। यानि जूट और पटसन की उपज और बनने वाली वस्तुएं । इस समय टाट का निर्यात बंद हो गया था जिस कारण कच्चे पटसन की कीमतें 60 प्रतिशत से भी अधिक गिर गईं। अत: जिन कृषकों ने पटसन उगाने के लिए कर्जे लिए थे उनकी स्थिति पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा और वे और अधिक कर्जदार हो गए।
- शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव – शहरी अर्थव्यवस्था पर महामंदी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा स्योंकि यहाँ पर ज्यादातर वेतन भोगी वर्ग रहता था या फिर बड़े जमींदार वर्ग के लोग रहते थे जिन्हें ज़मीन का लगान मिलता था। राष्ट्रीय आंदोलन के प्रभाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने उद्योगों की रक्षा के लिए सीमा शुल्क बढ़ा दिया था, जिससे उद्योगों को भी लाभ हुआ।
इसके विपरीत ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा। सरकार द्वारा लगान कम न करने के कारण कृषकों की स्थिति अत्यधिक दयनीय हो गयी। एक ओर उन्हें अपने उत्पादों की सही कीमत नहीं मिल रही थी वहीं दूसरी ओर उनपर लगान और कर्जा का भारी बोझ पड़ रहा था। अत: ग्रामीण क्षेत्र में भारी असंतोष का वातावरण था।
4. वैश्वीकरण की प्रक्रिया पुनः प्रारंभ - इस मंदी के समय भारत की कीमती धातुओं विशेषकर सोने का निर्यात पुन: प्रारंभ हो गया था। इससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया पुन: प्रारंभ हो गई थी। ।
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महायुद्धों के बीच अर्थव्यवस्था - भारत और महामंदी
या प्रश्नात किंवा उत्तरात काही त्रुटी आहे का?