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नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था। - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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प्रश्न

नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

थोडक्यात उत्तर

उत्तर

31 जनवरी 1930 को गांधीजी ने इरविन को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को खत्म करने के बारे में थी। नमक का अमीर-गरीब सभी प्रयोग करते थे। यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था। इसलिए नमक पर कर को ब्रिटिश सरकार का सबसे दमनकारी पहलू बताया था। 11 मार्च तक उनकी माँगें नहीं मानी गई तो 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने अपने 56 स्वयंसेवकों के साथ नमक यात्रा शुरू की। यह यात्रा साबरमती से दांडी नामक गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। 6 अप्रैल को वे दाँडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालदर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था।

यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था -

  1. इस बार लोगों को न केवल अंग्रेजों को सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया जाने लगा। हजारों लोगों ने नमक कानून तोड़ा और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए।
  2. यह यात्रा साबरमती से 240 किलोमीटर दूर दाँडी में जाकर समाप्त होनी थी। गांधीजी की टोली ने 23 दिनों तक हर रोज लगभग 10 मील का सफर तय किया। गांधी जी जहाँ भी रूकते हजारों लोग उन्हें सुनने आते। इन सभाओं में गांधीजी ने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया और कहा कि लोग अंग्रेजों की शांतिपूर्ण अवज्ञा करें यानि कि अंग्रेजों को कहा न मानें।

इस प्रकार गांधीजी की नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक बन गई।

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सविनय अवज्ञा की ओर - नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन
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पाठ 2: भारत में राष्ट्रवाद - चर्चा करें [पृष्ठ ५०]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Social Science (History) - India and the Contemporary World 2 [Hindi] Class 10
पाठ 2 भारत में राष्ट्रवाद
चर्चा करें | Q 2. | पृष्ठ ५०
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