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प्रश्न
आशय स्पष्ट कीजिए -
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता।
उत्तर
ऐसा देखा गया है कि आज समय के बदलते रुप के साथ मनुष्य के विचारों में भी बदलाव आया है। आज का मनुष्य पहले की अपेक्षा अधिक आत्मकेन्द्रित हो गया है। आज मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित हो गया है कि मनुष्य, मनुष्य के भावों को नहीं समझ पाता है। इस विषय में पशुओं का स्वभाव मनुष्य से भिन्न है। भाषाहीन होने के बाद भी वे मनुष्यों के स्नेह का अनुभव कर लेते हैं।
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