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प्रश्न
विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति जात और प्राणी जात के ह्रास के कारक हैं?
टीपा लिहा
उत्तर
मानवीय क्रियाएँ निम्न प्रकार से प्राकृतिक वनस्पति जाति और प्राणी जाति के ह्रास का कारण बनती हैं
- मानव अपने स्वार्थ के अधीन होकर कभी ईंधन के लिए तो कभी कृषि के लिए वनों को अंधाधुंध काटता है। इससे वन्य वनस्पति तो नष्ट होती ही है साथ ही वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास भी छिन जाता है।
- जब उद्योगों खासकर रसायनिक उद्योगों का कुड़ा-कचरा खुले स्थानों पर फेंका जाता है तब भूमि प्रदुषण होता है।
- वृक्षों के अंधाधुंध कटने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचता है, जैसे वर्षा का कम होना।
- पशुओं के अति चारण से भी वनस्पति जगत को नुकसान पहुँचता है क्योंकि इससे प्राकृतिक वनस्पति पनप नहीं पाती और वह स्थान धीरे-धीरे बंजर हो जाता है।
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भारत में वन और वन्य जीवन का संरक्षण
या प्रश्नात किंवा उत्तरात काही त्रुटी आहे का?
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इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
निम्नलिखित प्राणियों और पौधों को उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें
जानवर/पौधे | अस्तित्त्व वर्ग |
काला हिरण | लुप्त |
एशियाई हाथी | दुर्लभ |
अंडमान जंगली सूअर | संकटग्रस्त |
हिमालयन भूरा भालू | सुभेद्य |
गुलाबी सिरवाली बत्तख | स्थानिक |
निम्नलिखित का मेल करें
आरक्षित वन | सरकार व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि। |
रक्षित वन | वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टी से सर्वाधिक मूल्यवान वन। |
अवर्गीकृत वन | वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है। |