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1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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Question

1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?

Answer in Brief

Solution

सन् 1917 से पहले रूस की कामकाज करने वाली जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों से भिन्न थी क्योंकि सभी रूसी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गांव से शहर नहीं आए थे। उनमें से कुछ ने गांवों में रहना जारी रखा और शहर में प्रतिदिन काम पर जाते थे। वे सामाजिक स्तर एवं दक्षता के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे और यह उनकी पोशाकों में परिलक्षित होता था। धातुकर्मी मजदूरों में खुद को साहब मानते थे। उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरूरत जो रहती थी। तथापि कामकाजी जनसंख्या एक मोर्चे पर तो एकजुट थी – कार्यस्थितियों एवं नियोक्ताओं के अत्याचार के विरुद्ध हड़ताल।।

अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले में रूस की कामगार जनसंख्या जैसे कि किसानों एवं कारखाना मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी। ऐसा जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश सरकार के कारण था जिसकी भ्रष्ट एवं दमनकारी नीतियों से इन लोगों से उसकी दुश्मनी दिनों-दिन बढती जा रही थी।

कारखाना मजदूरों की स्थिति भी इतनी ही खराब थी। वे अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड यूनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे। अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। वे अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों का शोषण करते थे। कई बार तो इन मजदूरों को न्यूनतम निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती थी। कार्य घंटों की कोई सीमा नहीं थी जिसके कारण उन्हें दिन में 12-15 घंटे काम करना पड़ता था। उनकी स्थिति इतनी करूणाजनक थी कि न तो उन्हें राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे और सन् 1917 की रूसी क्रांति की शुरूआत से पहले न ही किसी प्रकार के सुधारों की आशा थी।

किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। कुलीन वर्ग, सम्राटे तथा रूढीवादी चर्च के पास बहुत अधिक संपत्ति थी। ब्रिटानी में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान किसान कुलीनों का सम्मान करते थे और उनके लिए लड़ते थे किंतु रूस में किसान कुलीनों को दी गई जमीन लेना चाहते थे। उन्होंने लगान देने से मना कर दिया और जमींदारों को मार भी डाला।

रूस में किसान अपनी जमीन एकत्र करते और अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और उनका कम्यून उसे प्रत्येक परिवार की जरूरत के अनुसार बांट देता था।

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Chapter 2: यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति - प्रश्न [Page 48]

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NCERT Social Science - India and the Contemporary World 1 [Hindi] Class 9
Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
प्रश्न | Q 2. | Page 48
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