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Question
आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ़्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मसाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
Answer in Brief
Solution
क्योंकि भारत और पूर्वी अफ़्रीका दोनों ही यूरोपीय साम्राज्यवादी ताकतों के अधीन थे, इसलिए उनके शोषण का तरीका भी एक जैसा ही था।
- भारत और पूर्वी अफ़्रीका के चरवाहा समुदाय खानाबदोश थे और इसलिए उन पर शासन करने वाली औपनिवेशिक शक्तियाँ उन्हें अत्यधिक संदेह की दृष्टि से देखती थीं। यह उनके और अधिक पतन का कारण बना।
- दोनों स्थानों के चरवाहा समुदाय अपनी-अपनी चरागाहें कृषि भूमि को तरजीह दिए जाने के कारण खो बैठे। भारत में चरागाहों को खेती की जमीन में तबदील करने के लिए उन्हें कुछ चुनिंदा लोगों को दिया गया। जो जमीन इस प्रकार छीनी गई थी वे अधिकतर चरवाहों की चरागाहें थीं। ऐसे बदलाव चरागाहों के पतन एवं चरवाहों के लिए बहुत सी समस्याओं का कारण बन गए। इसी प्रकार अफ़्रीका में भी मासाई लोगों की चरागाहें श्वेत बस्ती बसाने वाले लोगों द्वारा उनसे छीन ली गई और उन्हें खेती की जमीन बढ़ाने के लिए स्थानीय किसान समुदायों को हस्तांतरित कर दिया गया।
- भारत और अफ़्रीका दोनों में ही जंगलों को यूरोपीय शासकों द्वारा आरक्षित कर दिए गए और चरवाहों का इन जंगलों में प्रवेश निषेध कर दिया गया। ये आरक्षित जंगल इन दोनों देशों में अधिकतर उन क्षेत्रों में थे जो पारंपरिक रूप से खानाबदोश चरवाहों की चरागाह थे।
इस प्रकार, दोनों ही मामलों में औपनिवेशिक शासकों ने खेतीबाड़ी को प्रोत्साहन दिया जो अंततः चरवाहों की चरागाहों के पतन का कारण बनी।
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अफ़्रीका में चरवाहा जीवन
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