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ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहाँ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, क्या यह संभव है? अगर नहीं तो क्यों? - Sociology (समाजशास्त्र)

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Question

ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहाँ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, क्या यह संभव है? अगर नहीं तो क्यों?

Long Answer

Solution

नहीं, हम ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं, जहाँ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। व्यक्ति विभिन्न संदर्भो में एक दूसरे के साथ अंतः क्रिया करते हैं। प्रायः सभी प्रकार की सामाजिक स्थितियों में सहयोग तथा संघर्ष व्यवहार की विशिष्टताएँ हैं। जब समूह साझा लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मिलकर कार्य करते हैं, तो हम इसे सहयोग करते हैं। जब समूह अधिकतम लाभ के लिए कोशिश और स्वार्थ सिद्धि के लिए कार्य करते हैं, तो संघर्ष का घटित होना अनिवार्य है। परंतु सभी प्रकार की सामाजिक अंतः क्रियाओं में सहयोग और प्रतियोगिता शामिल हैं।

प्रतियोगिता लक्ष्य इस प्रकार निर्धारित किया जाता है। कि यदि अन्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से असफल रहते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति अपने लक्ष्य को ही प्राप्त कर सकता है। कई बार संबंध उत्पादन की पद्धति के अंतर्गत समूहों और व्यक्तियों की अवस्थिति विविध और असमान रहती है। परंतु हमें याद रखना अनिवार्य है कि प्रतियोगिता जो एक विघटनकारी सामाजिक प्रक्रिया है, वह समाजिक संरचना का समग्र भाग भी है। संसार में यह किसी समाज का समग्र और अनिवार्य भाग है। अतः हम ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं, जहाँ प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा नहीं है। समाज का स्वरूप कम प्रतियोगी का उच्च प्रतियोगी से हो सकता है, परंतु प्रतिस्पर्धा के बिना समाज का अस्तित्व असंभव है।

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प्रतिस्पर्धा-अवधारणा एवं व्यवहार के रूप में
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Chapter 1: समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ - अभ्यास [Page 23]

APPEARS IN

NCERT Sociology [Hindi] Class 11
Chapter 1 समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ
अभ्यास | Q 5. | Page 23
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