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Maharashtra State BoardSSC (English Medium) 8th Standard

अंतिम चार पंक्‍तियों का अर्थ लिखो। चख-चख जीवन मधुरस प्रतिक्षण विपुल मनोवैभव कर संचित, जन मधुकर अनुभूति द्रवित जब करते भव मधु छत्र विनिर्मित नहीं प्रार्थना इससे शुचितर ! - Hindi (Second/Third Language) [हिंदी (दूसरी/तीसरी भाषा)]

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Question

अंतिम चार पंक्‍तियों का अर्थ लिखो।

चख-चख जीवन मधुरस प्रतिक्षण
विपुल मनोवैभव कर संचित,
जन मधुकर अनुभूति द्रवित जब
करते भव मधु छत्र विनिर्मित
नहीं प्रार्थना इससे शुचितर !

Answer in Brief

Solution

कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से लोक अर्थात सज्जन व्यक्ति के महत्त्व को स्थापित किया है। सज्जन व्यक्ति अपने इस जीवनरूपी मधुरस को चखते हैं अर्थात जीवन के सुख-दुख का अनुभव प्राप्त करते हैं। वे जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए विपुल मनोवैभव संचित करते हैं अर्थात मानसिक रूप से समृद्ध बन जाते हैं। जन मधुकर अर्थात मानवरूपी सज्जन भाैंरे जब किसी को दुख व पीड़ा में देखते हैं, तो उनका मन द्रवित हो जाता है। संसार के दुख-दर्द को दूर करने के लिए वे अपने अनुभव से संसाररूपी छत्ते का पुन: निर्माण करते हैं अर्थात वे अपने अनुभव व ज्ञान से जरूरतमंदों की यथायोग्य सहायता कर उनके जीवन में खुशियाँ भर देते हैं। कवि कहता है कि सज्जन व्यक्तियों के इन कर्मों से अधिक पवित्र कोई अन्य प्रार्थना नहीं हो सकती है।

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पद्य (8th Standard)
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Chapter 2.9: नहीं कुछ इससे बढ़कर - सूचना के अनुसार कृतियाँ करो [Page 51]

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Balbharati Hindi - Sulabhbharati 8 Standard Maharashtra State Board
Chapter 2.9 नहीं कुछ इससे बढ़कर
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो | Q (३) | Page 51
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