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Question
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
Solution
जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति जलाशय, नदियाँ है। राजस्थान में खादिन, महाराष्ट्र में बंधारस व ताल, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में बंधिस, बिहार में अहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह आदि जल संग्रहण की पद्धतियाँ है।
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इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
भूजल की कमी किसके कारण नहीं होती?
बाढ़ के पानी से जलमग्न नालियों के आर-पार छोटे-छोटे रोकबाँध बनाना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे -
- सिंचाई के लिए पानी रोके रखते हैं
- पानी रोके रखते हैं और मृदा कटाव को नहीं होने देते
- भूजल का पुनर्भरण हो जाता है
- पानी को स्थायी तौर पर रोके रखते हैं
सामुदायिक स्तर पर जल-संभरण से संबंधित दो लाभों की सूची बनाइए।
- चित्र (a) और (b) में जलाशयों का पता लगाइए और उनके नाम बताइए।
- कौन-सा जलाशय दूसरे जलाशय की अपेक्षा अधिक लाभप्रद है, और क्यों?
(a)
(b)
क्या जल संरक्षण आवश्यक है? कारण बताइए।
अपशिष्ट जल का उपयोग करने की कुछेक लाभकारी विधियों का सुझाव दीजिए।