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भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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Question

भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?

Answer in Brief

Solution

निर्धनता को मापने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है।

भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि को मुख्य माना जाता है। इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित हैं। खाद्य वस्तुएँ जैसे अनाज, दालें, आदि मिलकर इस आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करती है। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। चूँकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है। अनाज आदि रूप में इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति मौद्रिक व्यय को, कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर संशोधित किया जाता है। इन परिकल्पनाओं के आधार पर वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 328 रुपये प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में 454 रुपये प्रतिमाह किया गया था।

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सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता
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Chapter 3: निर्धनता : एक चुनौती - अभ्यास [Page 40]

APPEARS IN

NCERT Social Science - Economics [Hindi] Class 9
Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती
अभ्यास | Q 1. | Page 40
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