English

भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें। - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

Advertisements
Advertisements

Question

भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।

Answer in Brief

Solution

भारत कृषि के लिए वैश्वीकरण कोई नई घटना नहीं है। 19वीं शताब्दी में जब यूरोपीय व्यापारी भारत आए, तो उस समय भी भारतीय मसाले विश्व के विभिन्न देशों में निर्यात किए जाते थे। ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारी भारत के कपास क्षेत्र की ओर आकर्षित हुए और भारतीय कपास को ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में निर्यात किया गया। 1917 में बिहार में हुए चंपारण आंदोलन की शुरुआत इसलिए हुई कि इस क्षेत्र के किसानों पर नील की खेती करने के लिए अंग्रेजों द्वारा दबाव डाला गया। नील ब्रिटिश के सूती वस्त्र उद्योगो के लिए कच्चा माल था। तथा किसान इसलिए भड़के क्योंकि उन्हें अपने उपभोग के लिए अनाज उगाने से वंचित कर दिया गया था।

1990 के पश्चात वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी , जूट तथा मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों में पैदा करने में सक्षम नहीं है। क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायता दी जाती है। आज भारतीय कृषि चौराहे पर खड़ी है। यदि भारतीय कृषि को सक्षम एवं लाभदायक बनाना है। तो सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारनी होगी।

shaalaa.com
कृषि की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और उत्पादन में योगदान
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 4: कृषि - अभ्यास [Page 49]

APPEARS IN

NCERT Social Science - Contemporary India 2 [Hindi] Class 10
Chapter 4 कृषि
अभ्यास | Q 3. (ii) | Page 49
Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×