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Question
‘दिवस का अवसान’ कविता के चतुर्थ चरण का भावार्थ लिखिए।
झलकने पुलिनों पर भी लगी। गगन के तल की यह लालिमा। सरि-सरोवर के जल में पड़ी। अरुणता अति ही रमणीय थी।। |
One Line Answer
Solution
कवि के अनुसार गगन के तल की ललाई अब रेत तथा किनारों पर भी दिखाई देने लगी। नदियों, तालाबों के जल में दिखाई देने वाली लालिमा बहुत ही सुंदर थी।
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दिवस का अवसान
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Chapter 1.11: दिवस का अवसान - स्वाध्याय [Page 48]