English

‘दिवस का अवसान’ कविता के चतुर्थ चरण का भावार्थ लिखिए। झलकने पुलिनों पर भी लगी। गगन के तल की यह लालिमा। सरि-सरोवर के जल में पड़ी। अरुणता अति ही रमणीय थी।। - Hindi [हिंदी]

Advertisements
Advertisements

Question

‘दिवस का अवसान’ कविता के चतुर्थ चरण का भावार्थ लिखिए।

झलकने पुलिनों पर भी लगी।
गगन के तल की यह लालिमा।
सरि-सरोवर के जल में पड़ी।
अरुणता अति ही रमणीय थी।।
One Line Answer

Solution

कवि के अनुसार गगन के तल की ललाई अब रेत तथा किनारों पर भी दिखाई देने लगी। नदियों, तालाबों के जल में दिखाई देने वाली लालिमा बहुत ही सुंदर थी।

shaalaa.com
दिवस का अवसान
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 1.11: दिवस का अवसान - स्वाध्याय [Page 48]

APPEARS IN

Balbharati Hindi - Kumarbharati 9 Standard Maharashtra State Board
Chapter 1.11 दिवस का अवसान
स्वाध्याय | Q (२) | Page 48
Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×