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हमारे खाने में कई बदलाव आए हैं। ऐसा कैसे कह सकते हैं? बाजरे के बीज की कहानी और बड़ों से मिली जानकारी के आधार पर लिखो। - Environmental Studies (पर्यावरण अध्ययन)

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Question

हमारे खाने में कई बदलाव आए हैं। ऐसा कैसे कह सकते हैं? बाजरे के बीज की कहानी और बड़ों से मिली जानकारी के आधार पर लिखो।

Answer in Brief

Solution

हमारे खाने में कई तरह के बदलाव आये हैं। पहले लोग तरह-तरह के अनाजों की रोटियाँ खाया करते थे, परन्तु आज रोटियाँ मुख्य रूप से गेहूं के आटे से ही बनाया जाता है। मेरी माँ बताती हैं कि पहले आटे के लिए गेहूँ के दानों से गंदगियाँ हाथों से चुन कर निकाली जाती थी, फिर गेहूं को पानी से धोया जाता था। धोने के बाद उसे धूप में सुखाया जाता था। गेहूँ को सुखाने के बाद उसे चक्की पर ले जाया जाता था जहाँ गेहूँ को पीसकर आंटा बनाया। जाता था। कम गेहूँ को पीसने के लिए दादी माँ लोग घर पर ही चक्की में उसे पीस लिया करती थी। परन्तु आज पिसा हुआ गेहूं का आटा पैकटों में उपलब्ध है। प्रायः सभी घरों में पैकेटों में बंद आटा ही खरीदा जाता है। मैं एक बार गेहूं के दानों को देखकर पहचान नहीं सका कि यही गेहूँ के दाने हैं, हालाँकि मैंने गेहूँ के दानों को फोटो में देखा था। मैं यह जानकर भी हैरान हो गया कि चावल दरअसल धान से प्राप्त किये जाते हैं। हममे से बहुत सारे लोग आज बने-बनाये (इन्सटेन्ट) खाना, जैसे नूडल, पास्ता, ब्रेड आदि पसंद करने लगे हैं। मैं समझता हूँ कुछ सालों बाद लोग परंपरागत भोजन बनाना भी भूल जायेंगे।

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किसानों की कहानी-बीज की जुबानी
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Chapter 19: किसानों की कहानी-बीज की जुबानी - हम क्या समझे [Page 181]

APPEARS IN

NCERT Environmental Studies - Looking Around [Hindi] Class 5
Chapter 19 किसानों की कहानी-बीज की जुबानी
हम क्या समझे | Q 1 | Page 181

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