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Question
जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्त किया था। इस आयोग की नियुक्ति क्यों की गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे?
Answer in Brief
Solution
- जनता पार्टी की सरकार द्वारा शाह आयोग की नियुक्ति - 1977 के चुनावों में जनता पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ था और उसकी सरकार बनी थी। इसी सरकार ने आपातकाल में की गई ज्यादतियों, कानूनों के उललंघनों तथा शक्तियों के दुरुप्रयोग की जाँच कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत मुख्य न्यायमूर्ति जे. सी. शाह की अध्यक्षता में एक जाँच आयोग नियुक्त की। आयोग ने कई प्रकार के आरोपों की जाँच के लिए बहुत से कागज - पत्रों, साक्ष्यों की जाँच की तथा हजारों गवाहों के कथन दर्ज किए। श्रीमती इंदिरा गाँधी को भी गवाही में बुलाया गया। इंदिरा गाँधी आयोग के सामने उपस्थित तो हुई परन्तु उन्होंने आयोग के किसी प्रश्न का उत्तर देने और अपनी सफाई देने से इंकार कर दिया।
- शाह आयोग के निष्कर्ष - शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट तीन भागों में दी। दो आंतरिक रिपोर्ट थी और तीसरी अंतिम रिपोर्ट थी। इस रिपोटों में कहा गया था की आपातकाल के दौरान सरकारी मशीनरी का खुलकर सुरुपयोंग किया गया था, अधिकतर आदेश मौलिक रूप में दिए जाते थे, नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ था। तथा नौकरशाही ने अपनी शक्तियों का नियमों के विरुद्ध प्रयोग तथा दुरूपयोग किया था और पुलिस संगठन ने आम आदमी पर जुल्म ढाए थे। यह भी कहा गया था की नौकरशाही तथा पुलिस संगठन ने अपने स्वतंत्र रूप में नियमों के अनुसार कार्य करने की शैली को त्याग दिया था।
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आपातकाल के बाद की राजनीति
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निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
1977 के चुनावों के दौरान भारतीय लोकतंत्र, दो - दलीय व्यवस्था के जितना नज़दीक आ गया था उतना पहले कभी नहीं आया। बहरहाल अगले कुछ सालों में मामला पूरी तरह बदल गया। हारने के तुरंत बाद कांग्रेस दो टुकड़ों में बँट गई ..... जनता पार्टी में भी अफरा तफरी मची .... डेविड बँटलर, अशोक लाहिडी और प्रणव रॉय
- पार्था चटर्जी
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