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'कार्य' पर एक निबंध लिखिए। कार्यों की विद्यमान श्रेणी और ये किस तरह बदलती हैं, दोनों पर ध्यान केंद्रित करें। - Sociology (समाजशास्त्र)

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Question

'कार्य' पर एक निबंध लिखिए। कार्यों की विद्यमान श्रेणी और ये किस तरह बदलती हैं, दोनों पर ध्यान केंद्रित करें।

Answer in Brief

Solution

कार्य केवल जीविका के लिए ही नहीं, बल्कि संतुष्टि के लिए भी है। इसमें कठिन कार्य भी सम्मिलित हैं, जिसमें मानवीय और मानसिक क्रिया-कलापों की आवश्यकता पड़ती है। कार्य का संदर्भ अदा की गई नौकरी से है। इसे व्यक्ति के शारीरिक या मानसिक प्रयासों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसे अदा भी किया जा सकता है या नहीं भी किया जा सकता है। मानव की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए सेवाओं के रूप में कार्य को सम्पन्न किया जाता है। वस्तुओं और सेवाओं के प्रत्यक्ष विनिमय में कार्य को सम्पन्न किया जाता है। अन्य सामाजिक और राजनीतिक क्रिया-कलापों से हटकर आर्थिक क्रिया-कलाप मानवीय सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण स्वरूप है। आर्थिक क्रिया-कलाप अद्यतन समाज के महत्वपूर्ण आयाम हैं, जिसमें उत्पादन और खपत सम्मिलित हैं। समाज में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत के संदर्भ में आर्थिक संस्थाएँ व्यक्तियों के क्रिया-कलापों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।

कार्य के अनेक सोपान निर्दिष्ट हैं: जैसे

  • अनुबंध (Contract) - किसी निश्चित अवधि के अंतर्गत विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति हेतु दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच समान नियमों और स्थितियों की वचनबद्धता।
  • श्रम-विभाजन (Division of Labour) - इसका सरोकार कौशल और योग्यता पर आधारित लोगों के मध्य कार्य के वितरण की पद्धति से है। श्रम-विभाजन का जनसंख्या के घनत्व से प्रत्यक्ष संबंध है। यह समाज के लोगों को अन्योन्याश्रित बनाता है। आधुनिक समाज और इसकी अर्थव्यवस्था तकनीक पर आधारित है, जिसके लिए विशिष्टिकरण आवश्यक है।
  • वेतन (Wages) - वर्तमान औद्योगिक अर्थव्यवस्था में वेतन के निश्चित नियम हैं; जैसे कि-
    1. वेतन अनुबंध को स्थिर और आवश्यक भाग है।
    2. यह अव्यक्तिगत है और औपचारिक संबंधों पर आधारित है।
    3. वेतन कामगार (worker) और नियोक्ता दोनों पर बंधनकारी है।
    4. कुछ आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत व्यापार संघ या श्रम संघ (Labour Union) कामगारों के वेतन हित की रक्षा करता है।

अनेक अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जिनके द्वारा कार्य का प्रदर्शन होता है।

  1. साधारण अर्थव्यवस्था (Primitive Economic System) - कार्य और वेतन की कोई विशिष्ट विनिमय नीति नहीं होती है। यह आवश्यक रूप से निजी, लेकिन समुदाय आधारित होती है, जिसमें आर्थिक, धार्मिक एवं जादुई क्रिया-कलाप सम्मिलित होते हैं।
  2. कृषि संबंधित अर्थव्यवस्था (Agrarian Economy) - यह अर्थव्यवस्था की द्वितीय अवस्था थी, जिसने कामगारों के लिए भोजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की, पेशा जाति आधारित बन गया और वस्तु विनिमय पद्धति एवं जजमानी पद्धति प्रचलन में आई।
  3. औद्योगिक अर्थव्यवस्था (Industrial Economy) - यह वर्तमान अर्थव्यवस्था है, जिसका उदय 18 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में औद्योगीकरण के साथ हुआ। पूँजीवाद और समाजवाद का औद्योगिक समाज की दो मुख्य व्यवस्थाओं के रूप में उदय हुआ। यह समाज उत्पादन के लिए औजारों और मशीनों पर आधारित है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था कार्य को स्थिर मुद्रा की सहायता से नियंत्रित करती है।
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कार्य और आर्थिक जीवन
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Chapter 3: सामाजिक संस्थाओं को समझना - अभ्यास [Page 69]

APPEARS IN

NCERT Sociology [Hindi] Class 11
Chapter 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना
अभ्यास | Q 3. | Page 69
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