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ख्याति के मूल्यांकन की विधियों की व्याख्या करें। - Accountancy (लेखाशास्त्र)

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Question

ख्याति के मूल्यांकन की विधियों की व्याख्या करें।

Answer in Brief

Solution

ख्याति मूल्यांकन की निम्नलिखित प्रमुख विधियाँ हैं:

(i) औसत लाभ विधि - औसत लाभों से आशय कुछ वर्षो के लाभों को जोड़कर वर्षों की संख्या का भाग देकर ज्ञात करने से है। इस विधि में औसत लाभ को निश्चित वर्षों की स्वीकृत संख्या (क्रय के वर्ष) से गुणा करके ख्याति का मूल्य ज्ञात किया जाता है।

उदाहरण -

लाभ पहिला वर्ष = 10,000, दूसरा वर्ष = 15,000, तीसरा वर्ष = 11,000; 3 वर्षों के औसत लाभ के 2 वर्ष के क्रय के आधार पर ख्याति ज्ञात कीजिए।

औसत लाभ = `(10,000 + 15,000 + 11,000)/3`

`= (36,000)/3`

= 12,000

ख्याति = औसत लाभ × क्रय के वर्ष

= 12,000 × 2

= 24,000

(ii) अधिलाभ विधि: ख्याति मूल्यांकन की औसत लाभ विधि (सामान्य या भरित) से आधारभूत मान्यता यह है की जब नया व्यवसाय स्थापित किया जाता है तो यह अपने संचालक के प्रथम प्रारंभिक कुछ वर्षों में कोई लाभ अर्जित नहीं कर पाता। अतः उस व्यक्ति को जो चालू व्यवसाय खरीदता है ख्याति के रूप में व्यवसाय के प्रथम कुछ वर्षों से प्राप्त होने वाले लाभ के बराबर राशि का भुगतान करना होता है। अतः ख्याति का मूल्यांकन वास्तविक लाभ के आधार पर नहीं बल्कि अधिलाभ के आधार पर करना वांछनीय है। सामान्य लाभ पर वास्तविक लाभ का आधिक्य अधिलाभ कहलाता है।

सामान्य लाभ = `("फर्म की पूँजी" xx "प्रतिफल की सामान्य दर")/100`

उदाहरण -

एक व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों में 1,00,000 रु. का औसत लाभ अर्जित करता है और इसी प्रकार के व्यवसाय में प्रतिफल की सामान्य दर 10% है। यदि व्यवसाय की निवल परिसंपत्तियों का मूल्य 8,20,000 रु. दिया है तो पूँजीगत औसत लाभ विधि द्वारा ख्याति के मूल्य का निर्धारण करें।

औसत लाभों का पूँजीगत मूल्य

`= (1,00,000 xx 100)/10 = 10,00,000` रु.

ख्याति = पूँजीगत मूल्य - निवल परिसंपत्तियाँ

= 10,00,000 - 8,20,000

= 1,80,000 रु.

(iii) पूंजीकरण विधि - 

इस विधि से ख्याति का मूल्यांकन दो प्रकार से किया जाता है :

(अ) औसत लाभ का पूँजीकरण, या
(ब) अधिलाभ का पूँजीकरण। 

(अ) औसत लाभ का पूँजीकरण - इस विधि में ख्याति का मूल्य प्रतिफल की सामान्य दर के आधार पर औसत लाभ के पूँजीकृत मूल्य में से व्यवसाय में विनियोजित वास्तविक पूँजी (निवल परिसंपत्ति) को घटाकर निर्धारित की जाती है। प्रतिफल की सामान्य दर के आधार पर औसत लाभ का पूँजीगत मूल्य निम्न प्रकार ज्ञात करें: `"औसत लाभ"/"प्रतिफल की सामान्य दर" xx 100`

(ब) अधिलाभ का पूँजीकरण - ख्याति का निर्धारण, अधिलाभों का पूँजीकरण करके सीधे ज्ञात किया जा सकता है। इस विधि के अंतर्गत औसत लाभों का पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं हैं। इसके अंतर्गत निम्न चरण आते हैं -

  1. फर्म की पूँजी ज्ञात करें जिसे कुल परिसंपत्तियों में से बाह्य दायित्त्वों को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
  2. फर्म की पूँजी पर सामान्य लाभ की गणना करें।
  3. दिए गए गत वर्षों के औसत लाभ की गणना करें।
  4. औसत लाभ में से सामान्य लाभ की राशि को घटाकर अधिलाभ की राशि की गणना करें।
  5. अधिलाभ की राशि को प्रतिफल की सामान्य दर गुणांक से गुणा करें, अर्थात ख्याति = `"अधिलाभ"/"सामान्य प्रतिफल की दर" xx 100`
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ख्याति
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Chapter 3: साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश - अभ्यास के लिए प्रश्न [Page 168]

APPEARS IN

NCERT Accountancy - Not-for-Profit Organisation and Partnership Accounts [Hindi] Class 12
Chapter 3 साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश
अभ्यास के लिए प्रश्न | Q 3. | Page 168

RELATED QUESTIONS

यदि प्रवेश के समय ख्याति, फर्म की पुस्तकों के विद्यमान हो और नया साझेदार अपने लाभ में भाग के लिए नकद ख्याति लेकर आता है तो विद्यमान ख्याति हेतु लेखांकन व्यवहार क्या होगा?


ख्याति क्या है?


ख्याति को प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन से हैं।


यदि समस्त साझेदारों के मध्य यह समझोता होता है कि प्रत्येक साझेदार की पूँजी नए लाभ विभाजन अनुपात के अनुसार निर्धारित की जाएगी तो आप सभी साझेदारों की नयी पूँजी कैसे निकलेंगें।


विस्तारपूर्वक बताएँ कि ख्याति का लेखांकन व्यवहार किस प्रकार होगा यदि नया साझेदार ख्याति में अपना भाग नकद लाने में असमर्थ है।


साझेदार के प्रवेश के समय ख्याति के लेखांकन व्यवहार की विभिन्न विधियों को विस्तारपूर्वक बताएँ।


31 मार्च 2017 को राम और भारत की पुस्तकें 5,00,000 रुपये फर्म की पूँजी को दर्शाती हैं और गत 5 वर्षों का लाभ क्रमशः 40,000 रुपये 50,000 रुपये, 70,000 रूपये और 25,000 रुपये है ख्याति के मूल्य की गणना गत 5 वर्षों के औसत अधिलामों के 3 वर्ष के क्रय के आधार पर यह मानते हुए करें कि सामान्य प्रतिफल दर 10% है।


राजन और रजनी फर्म में साझेदार है। उनकी पूँजी राजन 3,00,000 रुपये और रजनी 2,00,000 रुपये है। वर्ष 2015-16 के दौरान पूँजीगत विधि से ख्याति की गणना यह मानते हुए करें कि सामान्य प्रत्याय दर 20% है जबकि वास्तविक औसत लाभ 1,50,000 रु. है।


वर्मा और शर्मा एक फर्म में साझेदार हैं लाभ और हानि का विभाजन 5: 3 के अनुपात में करते हैं। वे घोष को 1/5 भाग के लाभों के लिए साझेदार बनाते हैं। घोष पूँजी के रूप में 20,000 रुपये और अपने भाग की ख्याति के लिये 4,000 रुपये लाता है। आवश्यक रोज़नामचा प्रविष्टियाँ करें।

(अ) जब ख्याति की राशि का व्यवसाय में रखा जाएगा।

(ब) जब ख्याति की पूर्ण राशि को निकाला जाए।

(स) जब ख्याति की राशि का 50% निकाला जाए।

(द) जब ख्याति का भुगतान निजी रूप से कर दिया जाए।


आदित्य और बालन साझेदार हैं तथा 3 : 2 के अनुपात में लाभ व हानि का विभाजन करते हैं। वे क्रिसटॉफर को लाभ में 1/4 भाग के लिए प्रवेश देते हैं। स्वीकृत लाभ विभाजन अनुपात 2 : 1 : 1 है। क्रिसटॉफ़र पूँजी के रूप में 50,000 रुपये लाता है। उसका ख्याति में भाग का मूल्य 15,000 रुपये स्वीकृत हुआ है। क्रिसटॉफ़र केवल 10,000 रुपये ख्याति के रूप में ला सका। फर्म की पुस्तकों में आवश्यक रोज़नामचा प्रविष्टियाँ दें।


अमर और अकबर फर्म में बराबर के साझेदार हैं। एंथोनी नए साझेदार के रूप में प्रवेश करता है तथा नया लाभ विभाजन अनुपात 4: 3: 2 है। ऐंथोनी ख्याति में अपना भाग, जोकि 45,000 रुपये है, लाने में असमर्थ है। ख्याति खाता खोले बगैर ख्याति के समायोजन का निर्णय लिया गया है। ख्याति के व्यवहार हेतु आवश्यक रोजनामचा प्रविष्टि दें।


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