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Question
कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में जलीय KCN को आधिक्य में मिलाने पर बनने वाली उपसहसंयोजन सत्ता क्या होगी? इस विलयन में जब H2S गैस प्रवाहित की जाती है तो कॉपर सल्फाइड का अवक्षेप क्यों नहीं प्राप्त होता?
Solution
जब जलीय KCN विलयन को जलीय कॉपर सल्फेट के विलयन में मिलाया जाता है, तो निम्न प्रकार से [Cu(CN)4]2− उपसहसंयोजन स्पीशीज प्राप्त होती है –
\[\ce{[Cu(H2O)4]^2+ + 4CN- -> [Cu(CN)4]^2- + 4H2O}\]
इस प्रकार बनी उपसहसंयोजन स्पीशीज [Cu(CN)4]2− अत्यधिक स्थिर होती है क्योंकि CN– प्रबल लिगन्ड होते हैं। इसलिए इस विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर CuS का अवक्षेप प्राप्त नहीं होता है क्योंकि मुक्त Cu2+ आयन उपलब्ध नहीं होते हैं।
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निम्न संकुल में केंद्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d-कक्षकों का अधिग्रहण एवं उपसहसंयोजन संख्या बतलाइए –
K3[Co(C2O4)3]
निम्न संकुल में केंद्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d-कक्षकों का अधिग्रहण एवं उपसहसंयोजन संख्या बतलाइए –
cis-[CrCl2(en)2]Cl
निम्न संकुल में केंद्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d-कक्षकों का अधिग्रहण एवं उपसहसंयोजन संख्या बतलाइए –
[Mn(H2O)6]SO4
1 mol CrCl3⋅6H2O की AgNO3 के आधिक्य से अभिक्रिया कराने पर AgCl के 3 mol प्राप्त हुए। संकुल का सूत्र है ______।
एथेन-1, 2-डाइऐमीन के लिगंड की तरह व्यवहार के संबंध में सही कथन हैं-
(i) यह उदासीन लिगंड है।
(ii) यह द्विदंतुर लिगंड है।
(iii) यह कीलेटी लिगंड है।
(iv) यह एकदंतुर लिगंड है।
कॉलम I में दिए गए यौगिकों और इनमें उपस्थित कोबाल्ट की कॉलम II में दी गई ऑक्सीकरण अवस्थाओं को सुमेलित कीजिए और सही कोड प्रदान कीजिए।
कॉलम I (यौगिक) | कॉलम II (Co की ऑक्सीकरण अवस्था) |
(A) [Co(NCS)(NH3)5](SO3) | (1) + 4 |
(B) [Co(NH3)4Cl2]SO4 | (2) 0 |
(C) Na4[Co(S2O3)3] | (3) + 1 |
(D) [Co2(CO)8] | (4) + 2 |
(5) + 3 |
अभिकथन: आविषी धातु आयन कीलेटी लिगंडों द्वारा निष्काषित किए जाते हैं।
तर्क: कीलेट संकुलों की प्रवृत्ति अधिक स्थायी होने की होती है।
एकदंतुर लिगन्ड का दो उदाहरण दीजिए।
द्विदंतुर लिगन्ड से क्या तात्पर्य है?
द्विदंतुर लिगन्ड का दो उदाहरण दीजिए।