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Question
कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।
Solution
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
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निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
लट लटकनि मनो मत्त मधुप गन मादक मधुहि पियें।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
मधुबन की छाती को देखो।
सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
मेरी भव-बाधा हरौ राधा नागरि सोई।
जा तन की झाईं परै, स्यामु हरित दुति होई।।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
सुख चपला-सा, दुख घन में
उलझा है चंचल मन कुरंग।
निम्न वाक्य में अलंकार पहचानकर बताइए :
मानो घर-घर न हो, जैसे कोई चिड़ियाघर हो।
जिसमें खूँखार जानवर आबाद हों।
अलंकार बताइए:
खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी आई, चली गई
उपमा अलंकार के दो उदाहरण छाँटिए।
उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग कहाँ और क्यों किया गया है? उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
प्रथम दो छंदों में से अलंकार छाँटकर लिखिए और उनसे उत्पन्न काव्य-सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कीजिए।
कूक भरी मूकता बुलाए आप बोलि है।
अपने द्वारा इस सत्र में पढ़ी किन्हीं दो कविताओं में प्रयुक्त अलंकारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
निम्नलिखित पंक्ति में उद्धृत अलंकार के नाम पहचानकर लिखिए।
चरण-सरोज पखारन लागा।
निम्नलिखित पंक्ति में उद्धृत अलंकार के नाम पहचानकर लिखिए।
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात है, सिल पर पड़त निसान।।
"एक दिवस सूरज ने सोची, छुट्टी ले लेने की बात।
सोचा कुछ पल सुकूँ मिलेगा, चलने दो धरती पर रात।।”
इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है-
निम्नलिखित अलंकार पहचानकर उसका प्रकार और उपप्रकार लिखिए:
वाक्य | प्रकार | उपप्रकार |
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो | ______ | ______ |
निम्नलिखित उदाहरण के अलंकार पहचानकर लिखिए।
पड़ी अचानक नदी अपार।
घोड़ा उतरे कैसे पार ॥
राणा ने सोचा इस पार।
तब तक चेतक था उस पार ॥
निम्नलिखित उदाहरण के अलंकार पहचानकर लिखिए।
निकसे जनु जुण विमले बिंधु, जलद परले बिलगाइ ॥
निम्नलिखित उदाहरण के अलंकार पहचानकर लिखिए।
निम्नलिखित उदाहरण के अलंकार पहचानकर लिखिए।
रघुबर बाल पतंग।।
निम्नलिखित उदाहरण के रस पहचानकर लिखिए।
कहूँ सुलगत कोउ चिता कहूँ कोड जात लगाई।
एक लगाई जात एक की राख बुझाई।
निम्नलिखित पंक्ति में उद्धृत अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए:
एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं
किसी और पर प्रेम पति का, नारियाँ नहीं सह सकती हैं।
“सो जनु हमरेहि माथें काढ़ा। दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा।” इस चौपाई में प्रयुक्त अलंकार है -
“जिसके अरुण - कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।”
इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है -
'सोहत ओढ़े पीत-पट स्याम सलौने गात।
मनो नीलमणि सेल पर आतप परयो प्रभात॥'
इस दोहे में प्रयुक्त अलंकार है -
'देखि सुदामा की दीन-दशा करुणा करके करुणानिधि रोए,
पानी परात कौ हाथ छुऔ नहिं नैनन के जल सौं पग धोए।'
इस काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है -
निम्नलिखित में अलंकार है - 'मेघ आए बन-ठन के सँवर के।'
“प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।” इस काव्य-पंक्ति में अलंकार है -
“वह शर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ, धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।” - काव्य-पंक्ति में अलंकार है -
'सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी' में अलंकार है -
'उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।' में अलंकार है -
'को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर' - प्रस्तुत पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है -
निम्नलिखित में से किन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार है?
निम्नलिखित पंक्ति मैं उद्धृत अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए:
उधो, मेरा हृदयतल था एक उद्यान न्यारा।
शोभा देतीं अमित उसमें कल्पना-क्यारियाँ भी।।
निम्नलिखित पंक्ति मैं उद्धृत अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए:
चरण-कमल-सम-कोमल।
निम्नलिखित अलंकार पहचानकर उसका प्रकार और उप-प्रकार लिखिए:
वाक्य | प्रकार | उप-प्रकार |
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोई। बारे उजियारो करे, बढ़े अँधेरो होई। |