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क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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Question

क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?

Answer in Brief

Solution

पुरुषों एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा इतने विशाल स्तर पर सार्वभौमिक अधिकारों का खाका तैयार करने का विश्व में शायद प्रथम प्रयास था। इसने स्वतंत्रता, समानता एवं भाईचारे के तीन मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। सभी लोकतांत्रिक देशों द्वारा ऐसे सिद्धांतों को अपनाया गया है। किंतु यह सत्य है कि सार्वभौमिक अधिकारों का संदेश विरोधाभासों से घिरा था। “पुरुष एवं नागरिक” अधिकार घोषणापत्र में कई आदर्श संदिग्ध अर्थों से भरे पड़े थे।

  • घोषणा में कहा गया था कि ”कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से इसके निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। कानून के नजर में सभी नागरिक समान हैं।” किंतु जब फ्रांस एक संवैधानिक राजशाही बना तो लगभग 30 लाख नागरिक जिनमें 25 वर्ष से कम आयु के पुरुष एवं महिलाएँ शामिल थे, उन्हें बिलकुल वोट ही नहीं डालने दिया गया।
  • फ़्रांस ने उपनिवेशों पर कब्जा करना व उनकी संख्या बढ़ाना जारी रखा।
  • फ़्रांस में उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक दासप्रथा जारी रही।
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क्या महिलाओं के लिए भी क्रांति हुई?
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Chapter 1: फ्रांसीसी क्रांति - प्रश्न [Page 24]

APPEARS IN

NCERT Social Science - India and the Contemporary World 1 [Hindi] Class 9
Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति
प्रश्न | Q 5. | Page 24
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