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लोगों की संस्कृति को समझने में संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित चीजें कितनी कामयाब रहती हैं? किसी संग्रहालय के देखने के अपने अनुभव के आधार पर सोदाहरण विचार कीजिए। - History (इतिहास)

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Question

लोगों की संस्कृति को समझने में संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित चीजें कितनी कामयाब रहती हैं? किसी संग्रहालय के देखने के अपने अनुभव के आधार पर सोदाहरण विचार कीजिए।

Long Answer

Solution

किसी देश के संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित विभिन्न चीजों को देखकर हम उस देश की सभ्यता-संस्कृति के विषय में, उनके निवासियों के रीति-रिवाज़ों, खान-पान, वेश-भूषा आदि के विषय में सुगमतापूर्वक समझ सकते हैं।

उदाहरण के लिए, भारत के विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शित हड़प्पाई सभ्यता संबंधी मृद-भांडों, मोहरों, औजारों, आभूषणों और घरेलू उपकरणों को देखकर हम उस सभ्यता के निवासियों के रहन-सहन, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक जीवन के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन प्रदर्शित चीजों से यह स्पष्ट है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों की शिल्प तथा उद्योग संबंधी प्रतिभा उच्च-कोटि की थी। यह भी जाहिर होता है कि वे चाक की सहायता से मिट्टी के सुंदर एवं कलात्मक बर्तन बनाते थे जिन्हें लाल और काले रंगों से रंगा भी जाता था। संग्रहालय में प्रदर्शित छोटी-बड़ी अनेक तकलियों तथा फूलदार रंगीन वस्त्रों के टुकड़े इस बात के प्रमाण कि वस्त्र-निर्माण व्यवसाय इस सभ्यता का एक महत्त्वपूर्ण व्यवसाय था। संग्रहालय में प्रदर्शित हड़प्पा सभ्यता की मूर्तियों को देखकर हम इस सभ्यता के लोगों के पहनावे के विषय में जानकारी हासिल करते हैं।

इसी प्रकार संग्रहालय में प्रदर्शित सिक्कों से अनेक राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण करने में महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है। हम जानते हैं कि सिक्कों से प्राचीन भारत की आर्थिक स्थिति, धार्मिक दशा तथा सांस्कृतिक विकास की भी जानकारी मिलती है। उदाहरण के लिए, गुप्त काल के अनेक सिक्कों पर विष्णु तथा गरुड़ के चित्रों से यह सिद्ध होता है कि गुप्त शासक विष्णु के उपासक थे। समुद्रगुप्त की वीणा-अंकित मुद्राएँ उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण हैं। तदुपरान्त चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के चाँदी के सिक्कों से स्पष्ट है कि उसने शकों को पराजित किया था। इसका कारण यह है कि उस समय चाँदी के सिक्के केवल पश्चिमी भारत में प्रचलन में थे। नि:संदेह गुप्तकालीन सिक्के अत्यधिक कलात्मक प्रतीत होते हैं। इससे शासक वर्ग की साहित्य एवं कला में रुचि स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। कुषाणकालीन सिक्कों पर अनेक ईरानी और यूनानी देवी-देवताओं के अतिरिक्त भारतीय देवी-देवताओं के चित्र भी पाए जाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कुषाण शासक प्रारंभ से ही भारतीयों से प्रभावित थे।

इसी प्रकार अन्य देशों के संग्रहालयों की गैलरियों में प्रदर्शित चीजों को देखकर हम उनकी संस्कृतियों के संबंध में अमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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Chapter 10: मूल निवासियों का विस्थापन - अभ्यास [Page 230]

APPEARS IN

NCERT History [Hindi] Class 11
Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन
अभ्यास | Q 5. | Page 230
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