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लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं - इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? - Hindi (Core)

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Question

लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं - इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?

Answer in Brief

Solution

लेखक का यह कथन पूर्णतया सत्य नहीं प्रतीत होता। यह संभव है कि किसी विशेष चित्रपट में लता ने करुण रस के गीतों के साथ न्याय नहीं किया हो, किंतु सभी चित्रपटों पर यह बात लागू नहीं होती। लता ने कई चित्रपटों में अपनी आवाज़ दी है तथा उनमें करुण रस के गीत बड़ी मार्मिकता व रसोत्कटता के साथ गाए हैं। उनकी वाणी में एक स्वाभाविक करुणा विद्यमान है। उनके स्वरों में करुणा छलकती-सी प्रतीत होती है। फ़िल्म ‘रुदाली’ में उनका ‘दिल-हुँ-हुँ करे…….’ गीत विरही जनों के हृदयों को उत्कंठित ही नहीं करता अपितु अपनी मार्मिकता से हृदय को बींध-सा देता है। इसी प्रकार अन्य कई चित्रपटों पर भी यह बात लागू होती है। अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि लता जी केवल श्रृंगार के गीत ही भली प्रकार गा सकती हैं। वे सभी गीतों को समान रसमयता के साथ गा सकती हैं।

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भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर
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Chapter 1: भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर - अभ्यास [Page 8]

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NCERT Hindi - Vitan Class 11
Chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर
अभ्यास | Q 3. | Page 8

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