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मानू पान सजाकर बाहर बैठकखाने में भेज रही थी। चुपके से पान का एक बीड़ा सिरचन को देती हुई इधर-उधर देखकर बोली सिरचन दादा, काम-काज का घर! मोनू ने सिरचन से क्या कहा? -

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Question

निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

           मानू पान सजाकर बाहर बैठकखाने में भेज रही थी। चुपके से पान का एक बीड़ा सिरचन को देती हुई इधर-उधर देखकर बोली ‘‘सिरचन दादा, काम-काज का घर! पाँच तरह के लोग पाँच किस्‍म की बात करेंगे। तुम किसी की बात पर कान मत दो।’’ सिरचन ने मुस्‍कराकर पान का बीड़ा मुँह में ले लिया। चाची अपने कमरे से निकल रही थी। सिरचन को पान खाते देखकर अवाक् हो गई। सिरचन ने चाची को अपनी ओर अचरज से घूरते देखकर कहा, ‘‘छोटी चाची, जरा अपनी डिबिया का गमकौआ जर्दा खिलाना। बहुत दिन हुए ...।’’

           चाची कई कारणों से जली-भुनी रहती थी सिरचन से। गुस्‍सा उतारने का ऐसा मौका फिर नहीं मिल सकता। झनकती हुई बोली, ‘‘तुम्‍हारी बढ़ी हुई जीभ में आग लगे। घर में भी पान और गमकौआ जर्दा खाते हो?... चटोर कहीं के!’’ मेरा कलेजा धड़क उठा... हो गया सत्‍यानाश! बस, सिरचन की उँगलियों में सुतली के फंदे पड़ गए। मानो, कुछ देर तक वह चुपचाप बैठा पान को मुँह में घुलाता रहा फिर अचानक उठकर पिछवाड़े पीक थूक आया। अपनी छुरी, हँसिया वगैरह समेट-सँभालकर झोले में रखे। टँगी हुई अधूरी चिक पर एक निगाह डाली और हनहनाता हुआ आँगन से बाहर निकल गया।

(1) लिखिए- (2)

मोनू ने सिरचन से क्या कहा?

  1. ______
  2. ______

(2) सिरचन ने अपनी बेइज्जती महसूस करने के बाद क्‍या कदम उठाया? इस विषय पर 25-30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)

Answer in Brief

Solution

(1)

  1. सिरचन दादा, काम-काज का घर है। पाँच तरह के लोग, पाँच तरह की बात करेंगे।
  2. किसी अन्य की बात पर ध्यान नहीं देना।

(2) सिरचन ने अपनी बेइज्जती महसूस करने के बाद कुछ समय पान चबाकर उसे घर के पिछवाड़े में थूक दिया, फिर सभी सामान समेटकर घर से दनादन बाहर निकल गया।

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