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मरुस्थली क्षेत्रों में पवन कैसे अपना कार्य करती है? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक अपरदित स्थलरूपों का निर्माण करता है? - Geography (भूगोल)

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Question

मरुस्थली क्षेत्रों में पवन कैसे अपना कार्य करती है? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक अपरदित स्थलरूपों का निर्माण करता है?

Answer in Brief

Solution

उष्ण मरुस्थलीय क्षेत्रों में पवन रेत के कण उड़कर अपने आस-पास की चट्टानों का कटाव-इँटाव करते हैं, जिससे कई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। मरुस्थलीय धरातल शीघ्र गर्म और ठंडे हो जाते हैं। ठंडी और गर्मी से चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं जो बाद में खंडित होकर पवनों द्वारा अपरदित होती रहती हैं। पवन अपवाहन, घर्षण आदि द्वारा अपरदन करते हैं। मरुस्थलों में अपक्षयजनित मलबा केवल पवन द्वारा ही नहीं, बल्कि वर्षा व वृष्टि धोवन से भी प्रभावित होता है। पवन केवल महीन मलबे का ही अपवाहन कर सकते हैं और बृहत अपरदन मुख्यतः परत बाढ़ या वृष्टि धोवन से ही संपन्न होता है। मरुस्थलों में नदियाँ चौड़ी, अनियमित तथा वर्षा के बाद अल्प समय तक ही प्रवाहित होती हैं।

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प्रवाहित जल
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Chapter 7: भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास - अभ्यास [Page 75]

APPEARS IN

NCERT Fundamentals of Physical Geography [Hindi]
Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास
अभ्यास | Q 2. (v) | Page 75
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