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मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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Question

मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की?

Answer in Brief

Solution

मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया जो इस प्रकार है -

  1. बहुत से समाज व धर्म-सुधारकों ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दूर करने के लिए लिखना शुरू किया, जिससे लोगों में चेतना आई।
  2. जातिवाद, महिला शोषण व मजदूरों की दयनीय स्थिति पर लिखा गया, इससे जनमानस में अपनी खराब स्थिति को समझने में मदद मिली।
  3. 1870 के दशक तक पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर टिप्पणी करते हुए कैरिकेचर व कार्टून छपने लगे थे।
  4. कुछ ने शिक्षित भारतीयों के पश्चिमी पोशाकों और पश्चिमी अभिरुचियों का मजाक उड़ाया।
  5. राष्ट्रवादी लोगों ने राष्ट्रवाद को बढ़ाने के लिए स्थानीय मुद्रण का व्यापक सहारा लिया।
  6. खुलेआम व चोरी-छिपे राष्ट्रवादी विचार व लेख प्रकाशित होने लगे जिन्हें आम जनता तक पहुँचाना मुश्किल नहीं था।
  7. अंधविश्वासों, सामाजिक समस्याओं के साथ-साथ विदेश राज पर भी सवाल उठाए जाने लगे तथा भारत की जनता की गरीबी व परेशानियों तथा पिछड़ेपन के लिए ब्रिटिश सत्ता को कोसा जाने लगा।
  8. इस तरह मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में व्यापक भूमिका निभाई।
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Chapter 5: मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया - चर्चा करें [Page 128]

APPEARS IN

NCERT Social Science (History) - India and the Contemporary World 2 [Hindi] Class 10
Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
चर्चा करें | Q 4. | Page 128
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