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पहलवान की ढोलक' पाठ के आधार पर "अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी" - इस कथन का विश्लेषण कीजिए। - Hindi (Core)

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Question

पहलवान की ढोलक' पाठ के आधार पर "अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी" - इस कथन का विश्लेषण कीजिए।

Answer in Brief

Solution

  • गाँव में हैजा और मलेरिया के प्रकोप से हर घर में मौतें हो रही थीं। चारों ओर मौत का सन्नाटा छाया हुआ था। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही हो। जिस तरह रात के अँधेरे में सब कुछ शांत हो जाता है, उसी तरह उस रात की निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को दबाने का प्रयास कर रही थी।
  • आकाश में तारे चमक रहे थे, लेकिन पृथ्वी पर कहीं भी प्रकाश का नामोनिशान नहीं था। यदि कोई भावुक तारा आकाश से टूटकर पृथ्वी पर आने की कोशिश करता, तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही समाप्त हो जाती। बाकी तारे उसकी भावुकता और असफलता पर खिलखिलाकर हँसते।
  • दिन के समय मौत का तांडव और हर तरफ़ चीख-पुकार का दृश्य रहता था। लेखक ने इस कथन में रात का मानवीकरण किया है, जो मानव की तरह शोक प्रकट करती हुई प्रतीत होती है।
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2021-2022 (April) Term 2 - Delhi Set 1
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