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पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे? क्या ये प्रावधान पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बिच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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Question

पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे? क्या ये प्रावधान पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बिच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Answer in Brief

Solution

पंजाब समझौते - राजीव गाँधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अकाली दल के नरमपंथी नेताओं से बातचीत शुरू की और सिक्ख समुदाय को शांत करने का प्रयास किया। परिणामस्वरूप अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोगोंवाल और राजीव गाँधी के बिच समझौता हुआ। पंजाब समझौता भी कहा जाता है। इसके आधार पर अकाली दल 1985 में होने वाले चुनावों में भाग लेने को तैयार हुआ। पंजाब में स्थिति को सामान्य बनाने की ओर यह एक महत्त्वपूर्ण कदम था। इसकी प्रमुख बाते निम्नलिखित थीं -

  1. चंडीगढ़ पर पंजाब का हक माना गया और यह आश्वासन दिया गया की यह शीघ्र ही पंजाब को दे दिया जाएगा।
  2. पंजाब और हरियाणा के बिच सिमा विवाद सुलझाने के लिए एक अलग आयोग स्थापित किया जाएगा।
  3. रावी और व्यास के पास का पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बिच बँटवारा करने के लिए एक न्यायाधिकरण बैठाया जाएगा।
  4. सरकार ने वचन दिया की वह भविष्य में सिख्खों के साथ बेहतर व्यवहार करेगी और उन्हें राष्ट्रिय धारा में किए गए उनके योगदान के आधार पर सम्मानजनक स्थिति में रखा जाएगा।
  5. सरकार दंगा पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा भी देगी और दोषियों को दंड दिलवाए जाने का पूरा प्रयास करेगीं। 1985 के चुनावों में अकाली दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ और इसकी सरकार बनी। परन्तु कुछ समय बाद अकाली दल में दरार पैदा हुई और प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में एक गुट इससे अलग हो गया तथा वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। राजीव - गाँधी और लोगोवल के समझौते के बाद भी पंजाब की स्थिति सामान्य नहीं हुई और वहाँ उग्रवादी तथा हिंसात्मक गतिविधि याँ चलती रहीं। 1991 के लोकसभा चुनावों के समय स्थिति सामान्य बनाने के लिए सरकार ने फरवरी 1992 में विधानसभा के चुनाव भी करवाए परन्तु अकाली दल समेत अन्य दलों ने इन चुनावों का बहिष्कार किया। आतंकवादियों ने भी लोगों को मतदान न करने की धमकी दी। 1992 के चुनावों में पंजाब में कुल 24 प्रतिशत मतदान हुआ था। पंजाब में 1990 के दशक के मध्य के बाद ही स्थिति सामान्य होने लगी। सुरक्षा बलों ने उग्रवाद को दबाया और इसके कारण 1997 के चुनाव कुछ सामान्य स्थिति में हुए। माहौल कांग्रेस के विरुद्ध था और अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया था। अतः अकाली दल के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार बनी। परन्तु २००२ के विधान सभा चुनाव में अकाली दल सत्ताहीन हुआ और 2007 के चुनाव में फिर से सत्ता में आया। इस प्रकार पंजाब में हिंसा का चक्र लगभग एक दशक तक चलता रहा। पंजाब की जनता को उग्रवादी गुटों के कारण हिंसा का शिकार होना पड़ा। नवंबर 1984 में सिख समुदाय को सिख्ख विरोधी दंगों का शिकार होना पड़ा। मानवधिकारों का व्यापक उल्लंघन हुआ। डर और अनिश्चता की स्थिति ने वहाँ की व्यापारिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव डाला। 1980 के बाद एक समय ऐसा आया था जबकि पंजाब के बड़े - बड़े उद्योगपति वहां से पलायन करके हरियाणा आदि राज्यों में आने लगे थे। उग्रवादी ने पंजाब की आर्थिक दशा पर, विकास गतिविधियों पर, वहाँ की खुशहली पर बुरा प्रभाव डाला था। लोंगोवाल का भी वध हुआ था। पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री बेअंतसिंह की भी सचिवालय में हत्या की गई। आजकल पंजाब में स्थित सामान्य कही जा सकती है।
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पंजाब
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Chapter 8: क्षेत्रीय आकांक्षाएँ - प्रश्नावली [Page 170]

APPEARS IN

NCERT Political Science [Hindi] Class 12
Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
प्रश्नावली | Q 3. | Page 170
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