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पृथक् निर्वाचन-मण्डल और आरक्षित चुनाव-क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मण्डल को क्यों स्वीकार नहीं किया? - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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Question

पृथक् निर्वाचन-मण्डल और आरक्षित चुनाव-क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मण्डल को क्यों स्वीकार नहीं किया?

Answer in Brief

Solution

स्वतन्त्रता से पूर्व अंग्रेजों की नीति थी-फूट डालो तथा शासन करो। इस नीति के अनुसार अंग्रेजों ने निर्वाचन हेतु मतदाताओं को विभिन्न श्रेणियों और वर्गों में विभाजित कर रखा था, किन्तु हमारे संविधान-निर्माताओं ने पृथक् निर्वाचन-मण्डल का अन्त कर दिया क्योंकि यह प्रणाली समाज को बाँटने का काम करती थी। भारत के संविधान में कमजोर वर्गों का विधायी संस्थाओं (संसद व विधान पालिकाएँ) ने प्रतिनिधित्व को निश्चित करने के लिए आरक्षण का रास्ता चुना जिसके तहत संसद में तथा राज्यों की विधानसभाओं में इन्हें आरक्षण प्रदान किया गया है। भारत में यह आरक्षण 2010 तक के लिए लागू किया गया है।

निर्वाचन क्षेत्रों के आरक्षण की प्रणाली में, उम्मीदवार उस सामाजिक वर्ग से होते हैं जिसके लिए सीट आरक्षित होती है और सभी मतदाता, चाहे उनका सामाजिक समूह कुछ भी हो, उनमें से किसी एक को वोट देते हैं। पृथक निर्वाचक मंडल की प्रणाली में, किसी विशेष समुदाय के उम्मीदवार का चुनाव उसके समुदाय के मतदाताओं द्वारा ही किया जा सकता है।

संविधान निर्माताओं ने बाद को खारिज कर दिया क्योंकि यह एकता, धर्मनिरपेक्षता और भेदभाव से मुक्त राज्य के उनके उद्देश्य के खिलाफ था।

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निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण
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Chapter 3: चुनाव और प्रतिनिधित्व - प्रश्नावली [Page 76]

APPEARS IN

NCERT Political Science [Hindi] Class 11
Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व
प्रश्नावली | Q 5. | Page 76
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