English

“सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।” - Hindi Course - A

Advertisements
Advertisements

Question

“सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी- कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष य विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।

Long Answer

Solution

क्रोध जीवन का ऐसा अनिवार्य आभूषण है, जिसके बिना रहा नहीं जा सकता, और उसे निरंतर धारण भी नहीं किया जा सकता। इस कारण ही आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने क्रोध के सकारात्मक रूप की सराहना की है और अनायास और ईर्ष्या के कारण उत्पन्न क्रोध को नकारने का परामर्श दिया है।

क्रोध के पक्ष में

  1. मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए क्रोध जरूरी है। जब क्रोध नहीं होता, तो उद्दंडता बढ़ती जाती है।
  2. 'क्रोध और क्षमा' तभी सार्थक होते हैं जब इसे करने वाला व्यक्ति शक्तिशाली हो। इसलिए कवि दिनकर ने कहा है, 'क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।' अन्यथा, क्रोध का कोई मतलब नहीं रहता।
  3. क्रोध को दंभ के रूप में देखा जाता है, जबकि विनम्रता शक्तिशाली व्यक्ति की पहचान होती है। जब मूर्ख, जड़ और स्वभाव से उद्दंड लोग विनम्रता को नहीं समझते, तो क्रोध जरूरी हो जाता है। लेकिन इस क्रोध में शक्ति और संयम का होना अनिवार्य है। राम के विनम्र प्रयासों का समुद्र पर कोई असर न होने पर उनका पौरुष जागृत हुआ, और इसका परिणाम सार्थक था। इसी संदर्भ में तुलसीदास जी ने कहा −'विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत।
  4. क्रोध केवल मनुष्य में ही नहीं, बल्कि सभी प्राणियों में होता है, और प्रकृति भी इससे अछूती नहीं है। प्रकृति की सहिष्णुता और गंभीरता की भी एक सीमा है, और जब मनुष्य उस सीमा को पार करता है, तो प्रकृति भी अपना क्रोध दिखाती है। इसी तरह, जब मनुष्य की मनुष्यता का मजाक उड़ाया जाता है, तब भी क्रोध जरूरी होता है।

क्रोध के विपक्ष में

  1. क्रोध निंदनीय और विनाशकारी होता है। जब क्रोध की स्थिति प्रबल होती है, तो व्यक्ति को यह समझने की स्थिति में नहीं रहता कि क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं। ऐसी अवस्था में अपमान की संभावना बढ़ जाती है, और कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों, जैसे पुत्र अपने माता-पिता, या शिष्य अपने गुरु का अपमान करने में संकोच नहीं करता।
  2. गीता के अनुसार, क्रोध से उत्पन्न इच्छाएँ व्यक्ति को सब कुछ खोने की स्थिति में ले आती हैं, जिसमें स्मृति और बुद्धि का नाश हो जाता है, और अंत में वह पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। इसलिए श्रीकृष्ण ने क्रोध को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
  3. दंभ के कारण उत्पन्न क्रोध में ईर्ष्या और द्वेष समाहित होते हैं, जिसके कारण व्यक्ति अपनों से भी शत्रुता करने लगता है और अंततः वह शत्रुता उसे नष्ट कर देती है।
  4. इस क्रोध का विरोध न होने पर यह इतनी तीव्रता से बढ़ता है कि व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर भी क्रोधित हो जाता है, जिससे उसकी बुद्धि और स्मृति का नाश हो जाता है, और वह दुस्साहस में पड़कर अपनी जान भी खो बैठता है।
shaalaa.com
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 2: तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद - प्रश्न-अभ्यास [Page 15]

APPEARS IN

NCERT Hindi - Kshitij Part 2 Class 10
Chapter 2 तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
प्रश्न-अभ्यास | Q 11 | Page 15

RELATED QUESTIONS

परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।


साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।


भाव स्पष्ट कीजिए -

गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।

अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ||


पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।


इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।


निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -

बालकु बोलि बधौं नहि तोही।


धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से क्या कहा?


“न त मारे जैहहिं सब राजा’-परशुराम के मुँह से ऐसा सुनकर लक्ष्मण की क्या प्रतिक्रिया रही?


लक्ष्मण अपने कुल की किस परंपरा का हवाला देकर युद्ध करने से बच रहे थे?


लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर क्या था?


‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।


'क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है।' 'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' कविता के आलोक में इस कथन की पुष्टि कीजिए।


निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए - 

बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
इहाँ कुम्हड़बातिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।।
बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें।।

  1. परशुराम बार-बार अपना कुठार किसे और क्यों दिखा रहे हैं?
    A. राम को भयभीत करने के लिए
    B. लक्ष्मण को भयभीत करने के लिए
    C. विश्वामित्र को भयभीत करने के लिए
    D. महाराज जनक को भयभीत करने के लिए
  2. निम्नलिखित पंक्तियों में से किस पंक्ति से लक्ष्मण की शक्तिशाली होने का पता चलता है:
    A. बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
    B. पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
    C. देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
    D. इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।
  3. रघुकुल में किन-किन के प्रति अपनी वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता है?
    A. देवता, ब्राम्हण, ईश्वर भक्त और गाय पर
    B. स्त्रियों, बच्चों, ईश्वर भक्त और गाय पर
    C. देवता, राजा, वीर योद्धा और स्त्रियों पर
    D. स्त्रियों, बच्चों, राजा और गाय पर
  4. 'बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी' यह कथन ______ का उदाहरण है।
    A. व्यंग्य
    B. हास्य
    C. क्रोध
    D. वैराग्य
  5. उपर्युक्त पद्यांश में लक्ष्मण के चरित्र की कौन-सी विशेषता उजागर होती है?
    A. वीरता
    B. धैर्य
    C. शिष्टता
    D. विनम्रता

'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' में परशुराम बार-बार विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत क्यों कर रहे हैं?


पद्य पाठ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए -

'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' में लक्ष्मण ने अपने कुल की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? (किन्हीं दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।)


पद्य पाठ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए:

'राम-लक्ष्मण-परशुराम' के तीनों मुख्य पात्रों में से किससे आप सर्वाधिक प्रभावित होते हैं और क्यों?


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×