English

शासकों की सीमा का निर्धारण संविधान के लिए क्यों जरूरी है? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है जो नागरिकों को कोई अधिकार न दे | - Political Science (राजनीति विज्ञान)

Advertisements
Advertisements

Question

शासकों की सीमा का निर्धारण संविधान के लिए क्यों जरूरी है? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है जो नागरिकों को कोई अधिकार न दे |

Long Answer

Solution

संविधान का एक काम यह है कि वह सरकार या शासकों द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए। जाने वाले कानूनों पर कुछ सीमाएँ लगाए। ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार उनका कभी उल्लंघन नहीं कर सकती।

संविधान द्वारा सरकार या शासकों की शक्तियों पर सीमाएँ लगाना इसलिए आवश्यक है ताकि वे अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न कर सकें और जनता के हितों को नुकसान न पहुँचा सकें। संसद नागरिकों के लिए कानून बनाती है, कार्यपालिका कानूनों को जनता द्वारा अमल में लाने का कार्य करती है और यदि कोई कानून जनता की भावनाओं और हितों के अनुरूप नहीं होता तो न्यायपालिका ऐसे कानून को अमल में लाने से रोक देती है अथवा उस पर प्रतिबन्ध लगा देती है।

भारतीय संविधान में संशोधन करने के लिए संसद को न्यायपालिका ने यह निर्देश दे दिया है कि संसद संविधान के मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। संविधान सरकार अथवा शासकों की शक्तियों को कई प्रकार से सीमा में बाँधता है। उदाहरणार्थ, संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की विवेचना की गई है। इन मौलिक अधिकारों का हनन कोई भी सरकार नहीं कर सकती। नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के बन्दी नहीं बनाया जा सकता। यही सरकार अथवा शासक की। शक्तियों पर एक सीमा या बन्धन कहलाती है।

देश का प्रत्येक नागरिक अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतन्त्र है। इस स्वतन्त्रता पर सरकार कोई प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती। नागरिकों को मूल रूप से जो स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हैं; जैसे-अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, देश के किसी भी भाग में स्वतन्त्रतापूर्वक घूमने की स्वतन्त्रता, संगठन बनाने की स्वतन्त्रता आदि पर सरकार सामान्य परिस्थिति में कोई प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती। कोई भी सरकार स्वयं किसी व्यक्ति से बेगार नहीं ले सकती और न ही किसी व्यक्ति को यह छूट दे सकती है कि वह किसी भी रूप में किसी व्यक्ति का शोषण करे अथवा उसे बन्धुआ मजदूर बनाकर रखे। इस प्रकार सरकार के कार्यों पर सीमाएँ लगाई जाती हैं। अधिकांश देशों के संविधानों में कुछ मौलिक अधिकारों का प्रावधान अवश्य किया जाता है। अधिकारों के बिना मनुष्य का जीवन निरर्थक है।

shaalaa.com
हमें संविधान की क्या आवश्यकता है?
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 1: संविधान - क्यों और कैसे? - प्रश्नावली [Page 24]

APPEARS IN

NCERT Political Science [Hindi] Class 11
Chapter 1 संविधान - क्यों और कैसे?
प्रश्नावली | Q 7. | Page 24

RELATED QUESTIONS

निम्नलिखित में कौन-सा कथन इस बात की एक बेहतर दलील है कि संविधान की प्रमाणिकता संसद से ज़्यादा है?


बतायें कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत?

सरकार के गठन और उसकी शक्तियों के बारे में संविधान एक लिखित दस्तावेज़ है |


बतायें कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत?

संविधान सिर्फ लोकतांत्रिक देशों में होता है और उसकी ज़रूरत ऐसे ही देशों में होती है |


बतायें कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत?

संविधान एक कानूनी दस्तावेज़ है और आदर्शों तथा मूल्यों से इसका कोई सरोकार नहीं |


बतायें कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत?

संविधान एक नागरिक को नई पहचान देता है |


भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें |

संविधान ने शक्तियों का बँटवारा इस तरह किया कि इसमें उलट-फेर मुश्किल है।


किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ-साफ निर्धारण क्यों जरूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो, तो क्या होगा?


संविधान के क्रिया-कलाप से जुड़े अनुभवों को लेकर एक चर्चा में निचे दिए गए वक्ता का पक्ष -

हरबंस - भारतीय संविधान एक लोकतांत्रिक ढाँचा प्रदान करने में सफल रहा है।


संविधान के क्रिया-कलाप से जुड़े अनुभवों को लेकर एक चर्चा में निचे दिए गए वक्ता का पक्ष -

नाजिमा - संविधान असफल नहीं हुआ, हमने उसे असफल बनाया। क्या आप इनमें से किसी पक्ष से सहमत हैं, यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो आप अपना पक्ष बतायें।


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×