English
Maharashtra State BoardSSC (English Medium) 8th Standard

शब्‍दों के आधार पर कहानी लिखो : ग्रंथालय, स्‍वप्न, पहेली, काँच - Hindi (Second/Third Language) [हिंदी (दूसरी/तीसरी भाषा)]

Advertisements
Advertisements

Question

शब्‍दों के आधार पर कहानी लिखो :

ग्रंथालय, स्‍वप्न, पहेली, काँच

Answer in Brief

Solution

होशियार अमित

       बहुत पुरानी बात है। रामपुर गाँव के बगल में एक घना जंगल था। गाँव से थोड़ी दूर जंगल के किनारे अमित अपनी माँ सीता के साथ एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहता था। अमित पढ़ने में बहुत तेज था। सीता गाँव के लोगों के घर के छोटे-मोटे काम कर किसी तरह अपना व अपने बच्चे का पेट पालती थी।

        गाँव का सरकारी विद्यालय जंगल के दूसरे छोर पर था। एक दिन विद्यालय से घर लौटते समय अमित जंगल में घूमने-टहलने लगा। वह जंगल के उस छोर पर पहुँच गया, जहाँ एक छोटी-सी नदी व पहाड़ी थी। वहाँ घूमते-घूमते उसे एक बड़े चट्टान के नीचे एक संदूकची मिली। उसमें काँच की एक बड़ी-सी बेलनाकार शीशी थी, जिसमें लाल रंग का द्रव्य पदार्थ था। इसके अलावा एक पत्र था, जिसमें कुछ लिखा था। अमित शब्दों की लिखावट तो पहचान रहा था, लेकिन समझ नहीं पा रहा था कि आखिर लिखा क्या है। वह उस पत्र को लेकर घर लौटा। वह इस पहेली को सुलझाने की कोशिश करने लगा। सोचते सोचते उसकी आँख लग गई। नींद में उसे एक सपना आया कि किताबें ज्ञान का भंडार होती हैं। उनमें सारे सवालों के जवाब मिल जाते हैं। जब स्वप्न टूटा तो सुबह हो गई थी।

      अमित तैयार होकर विद्यालय पहुँचा। विद्यालय के ग्रंथालय में जाकर उसने विभिन्न प्रकार की भाषाओं व लिपियों के बारे में जानकारी प्राप्त की, लेकिन उसे जो पत्र मिला था, उसके अक्षर किसी प्राचीन लिपि से मेल नहीं खाते थे। वह चिंतित हो गया। अचानक उसकी नजर विज्ञान की एक पुस्तक पर पड़ी जिस पर एक आईना छपा था। उसने पुस्तक उठाई और पढ़ना शुरू किया। उसमें लिखा था कि आईने में किसी भी चीज का प्रतिबिंब उलटा दिखाई देता है। उदाहरण के तौर पर कुछ शब्द कागज पर लिखकर आईने में दिखाए गए थे, जो उलटे दिखाई दे रहे थे। अमित के दिमाग में युक्ति सूझी। वह घर पहुँचा। उसने आईने के सामने उस पत्र को रखा। उसका प्रतिबिंब आईने में दिखा। अब सब कुछ हिंदी में साफ-साफ दिखाई दे रहा था। उसमें लिखा था कि सामने की पहाड़ी में एक छोटा-सा छेद है, उसमें शीशी को रखकर उसे फोड़ दें।

       अमित इस संदूकची व पत्र की पहेली को सुलझाने के करीब पहुँच गया था। दूसरे दिन जंगल में जाकर अमित ने पत्र में जैसा लिखा था ठीक वैसा ही किया। उसने देखा कि वह द्रव पदार्थ एक गोलाकार पहेली की भाँति अपना रास्ता बनाते हुए एक विशाल पत्थर के नीचे गया और अचानक वह पत्थर अपनी जगह से हट गया। उस पत्थर के नीचे एक छोटा-सा कलश था, जिसमें सोने की मोहरें थीं। उसने झट से कलश उठा लिया और माँ के पास पहुँचा। उसने सारी बातें माँ को बताइ। दोनों मोहरें पाकर खुश हो गएँ।

सीख: किसी भी परिस्थिति में सोच-विचारकर काम करना चाहिए।

shaalaa.com
उपयोजित / रचनात्मक लेखन (लेखन कौशल)
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 1.1: हे मातृभूमि ! - उपयोजित लेखन [Page 2]

APPEARS IN

Balbharati Hindi - Sulabhbharati 8 Standard Maharashtra State Board
Chapter 1.1 हे मातृभूमि !
उपयोजित लेखन | Q 1 | Page 2

RELATED QUESTIONS

मैंने समझा वारिस कौन? पाठ से 


मैंने समझा धरती का आँगन महके कविता से 


मैंने समझा खेती से आई तब्‍दीलियाँ पाठ से 


किसी दुकानदार और ग्राहक के बीच होने वाला संवाद लिखो और सुनाओ: जैसे - माँ और सब्जीवाली।


।। हवा प्रकृति का उपहार, यही है जीवन का आधार ।।


चित्र पहचानकर उनके नाम लिखो:

____________


अक्षर समूह में से खिलाड़ियों के नाम बताओ और लिखो।

ना सा वा ने  
ध्या चं        
शा जा बा खा    
ल्खा सिं मि        
री काॅ मे        
नि मि सा र्जा या      
डु तें चि

यदि तुम्हें अलादीन का चिराग मिल जाए तो...


थर्मामीटर में किस धातु का प्रयोग होता है, बताओ।


एक महीने की दिनदर्शिका बनाओ और विशेष दिन बताओ।


Share
Notifications

Englishहिंदीमराठी


      Forgot password?
Use app×