Advertisements
Advertisements
Question
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
लाली मेरे लाल की, जित देखों तित लाल। 'कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूँढ़ै वन माहिं। 'जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहिरे पानी पैठ। जो तोको काँटा बुवै, ताहि बोउ तू फूल। |
(1) उचित जोड़ियाँ मिलाइए- (2)
अ | आ |
कस्तूरी | परमात्मा |
काँटा | फूल |
लाल | मृग |
बौरा | पानी |
किनारा |
(2) अन्तिम दो पक्तियों के लिए 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
Solution
(1)
अ | आ |
कस्तूरी | मृग |
काँटा | फूल |
लाल | परमात्मा |
बौरा | किनारा |
(2) प्रस्तुत सोहा संत कबीर दास द्वारा रचित 'जिन ढूँढा' से लिया गया है। इस दोहे में वे कहते है कि जो तुम्हारे लिए परेशानी या मुसीबत खड़ी करे, तुम उसके आचरण के विरोध में भी अपने अच्छे स्वभाव को बनाये रखो, इससे तुम्हारा स्वभाव और मन-बुद्धि शीतल रहेगी और उसने जो नफरत रुपी बीज तुम्हारे लिए बोये हैं उसका फल उसको ही मिलेगा।