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टिप्पणी लिखिए। संप्रदायवाद - History and Political Science [इतिहास और राजनीति शास्त्र]

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Question

टिप्पणी लिखिए।

संप्रदायवाद

Answer in Brief

Solution

जैसा कि परिभाषा में कहा गया है, सांप्रदायिकता को जातीयता, धर्म, विश्वास, मूल्यों आदि के आधार पर राज्यों (लोगों, लोगों या समुदायों के समूहों) के बीच विभाजन बताने वाली एक विचारधारा के रूप में वर्णित किया गया है।

  1. सांप्रदायिकता हमारे देश की एकता के लिए गंभीर खतरा है।सांप्रदायिकता संकीर्ण धार्मिक अहंकार से उत्पन्न होती है। विभिन्न धर्मों के लोग कई सदियों से खुशी-खुशी एक साथ रहते आए हैं।
  2. अगर विभिन्न धर्मों के लोग एक देश में एक साथ रहते हैं और अपने धर्म पर गर्व करते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन जब यही घमंड जरूरत से ज्यादा हो जाता है तो कट्टरता में बदल जाता है। फिर हर कोई अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे को निम्न मानने लगता है।
  3. कट्टरता घटनाओं और लोगों को देखने के नजरिए को पक्षपातपूर्ण बना देती है। कुछ लोग आर्थिक और सामाजिक प्रश्नों पर अपने धर्म के दायरे में ही सोचना शुरू कर देते हैं। सभी धर्मों के कुछ लोग सोचते हैं कि चूंकि वे एक विशेष धर्म से हैं, इसलिए राजनीति में उनका कोई प्रभाव नहीं है।
  4. अगर कोई जाने-अनजाने में अपने धर्म के लोगों के बारे में बोलता है या धार्मिक प्रतीकों का अपमान करता है तो ऐसी सोच के कारण ही दंगे भड़कते हैं।
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संप्रदायवाद
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Chapter 1.03: भारत के सम्मुख आंतरिक चुनौतियाँ - स्वाध्याय [Page 14]

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Balbharati History and Political Science (Social Science) [Hindi] 9 Standard Maharashtra State Board
Chapter 1.03 भारत के सम्मुख आंतरिक चुनौतियाँ
स्वाध्याय | Q २. (१) | Page 14
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