English

उसने अपने सारे साहस को समेटकर दृढ़ता से कहा-“माँ, मैं कानपुर जाऊँगी। i. उक्त कथन से संबंधित पाठ और उसके लेखक का नाम लिखिए। ii. यह कथन किसने कहा हैं? वह कानपुर क्यों जाना चाहती है? - Hindi (Indian Languages)

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Question

उसने अपने सारे साहस को समेटकर दृढ़ता से कहा-“माँ, मैं कानपुर जाऊँगी।

  1. उक्त कथन से संबंधित पाठ और उसके लेखक का नाम लिखिए।      [1]
  2. यह कथन किसने कहा हैं? वह कानपुर क्यों जाना चाहती है?            [2]
  3. इस कथन के पीछे वक्‍ता का क्या उद्देश्य था? आप किस आधार पर कहेंगे कि वक्ता ने उचित कदम उठाया?            [2]
  4. स्पष्ट कीजिए कि स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में वक्ता का त्याग भी किसी देशभक्त से कम नहीं था?              [5]
Answer in Brief

Solution

  1. कहानी का नाम 'गौरी' और लेखिका का नाम “सुभद्रा कुमारी चौहान" है।
  2. प्रस्तुत कथन गौरी ने कहा है। सीताराम जी के कारावास हो जाने पर बच्चों की चिन्ता करते हुए वह कानपुर जाना चाहती थी ताकि वह बच्चों की देखभाल कर सके और देश के हितार्थ कार्य में अपना सहयोग दे सके।
  3. इस कथन के पीछे वक्ता (गौरी) का उद्देश्य ईमानदार, नेक व देशप्रेमी सीताराम की मदद कर देशप्रेम की भावनाओं को दर्शाना है। वह कानपुर जाकर बच्चों की देखभाल करती है। उसने धनी तहसीलदार का रिश्ता ठुकराकर सीताराम के बच्चों की माँ बनकर अपनी त्याग की भावना का परिचय दिया है। गौरी सीताराम की सादगी व देशभक्ति से प्रभावित होकर उसे मन ही मन अपना पति मान लेती है। इस तरह वह एक आदर्श नारी होने का परिचय देती है। अतः उसका यह कदम उचित था।
  4. 'गौरी' एक चरित्र प्रधान भावनात्मक कहानी है जिसकी पृष्ठभूमि में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की गूँज सुनाई पड़ती है। गौरी एक विवेकशील स्त्री थी। उसे अच्छे-बुरे की पहचान थी। जब सीताराम जी का रिश्ता उसके लिए आया तो उसने सीताराम की सादगी, नेकी और देशभक्ति भावना को पहचान लिया इन्हीं भावनाओं को स्वीकार करते हुए उसने सीताराम को अपना पति मान लिया और अमीर तहसीलदार का संबंध स्वीकार नहीं किया। सरकार देशभक्तों को सजा सुना रही थी। गाँधीजी के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन तेजी से बढ़ रहा था जिसमें देशवासी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। गौरी पूरे साहस से कानपुर जाकर सीताराम जी के बच्चों का उनकी अनुपस्थिति में पालन-पोषण करती है। देशभक्त सीताराम जी के सहयोग, का यह कार्य किसी देशभक्ति के कार्य से कम नहीं है। यह किसी मायने में युद्ध भूमि में किए गए त्याग से कम नहीं है। यह निर्णय उसके अन्तर्मन में छिपे देशभक्ति के भावों को उजागर करता है। उसका मानना था कि यदि, सीताराम जी चाहते तो. बी.ए. पास करके वह भी नायब तहसीलदार बन सकते थे और अंग्रेजी सरकार की गुलामी करते रहते लेकिन उन्होंने देश को गुलामी से मुक्त करने का संघर्षमयी रास्ता अपनाया। गौरी ने एक देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी के बच्चों की माँ बनकर, उन्हें गृहस्थी की जिम्मेदारियों से मुक्त कर अपने कार्य अतः भावना के तहत गौरी का माथा श्रद्धा से झुक जाता है। क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर देकर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है।
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गद्य (१२ वी कक्षा )
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RELATED QUESTIONS

Read the passage given below carefully and answer the questions that follow using your own words in Hindi.

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और अपने शब्दोंका प्रयोग करते हुए दिए गए प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में दीजिए।

कैसोवैरी चिड़िया जंगल में एक पेड़ के कोटर में रहती थी। वह बचपन से ही बाकी चिड़ियों से अलग थी इसलिए बाकी चिड़ियों के बच्चे उसे हमेशा चिढ़ाते थे।

कोई कहता, “जब तू उड़ नहीं सकती तो चिड़िया किस काम कीं?", तो कोई उसे पेड़ की डाल पर बैठकर चिढ़ाता, “अरे! कभी हमारे पास भी आ जाया करो। जब देखो जानवरों की तरह नीचे चरती रहती हो", और ऐसा बोलकर सब-के-सब खूब हँसते।

कैसोवैरी उनकी बातें सुनकर मन मसोसकर रह जाती पर किसी से कुछ कह नहीं पाती थी। शुरू-शुरू में वह इन बातों का बुरा नहीं मानती थी लेकिन किसी भी चीज की एक सीमा होती है। बार-बार चिढ़ाए जाने से उसका दिल टूट गया। वह उदास बैठ गयी और आसमान की तरफ देखते हुए बोली, “हे ईश्वर तुमने मुझे चिड़िया क्यों बनाया? और बनाया तो मुझे उड़ने की काबिलियत क्यों नहीं दी? देखो सब मुझे कितना चिढ़ाते हैं। अब मैं यहाँ एक पल भी नहीं रह सकती, मैं इस जंगल को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ कर जा रही हूँ।” ऐसा कहते हुए कैसोवैरी चिड़िया थोड़ा आगे बढ़ गई।

अभी वह कुछ ही दूर गई थी कि पीछे से एक भारी-भरकम आवाज़ आई-“रुको कैसोवैरी! तुम कहाँ जा रही हो?”

आजतक किसी ने भी कैसोवैरी के साथ इतने अच्छे से बात नहीं की थी। उसने आश्चर्य से पीछे गुड़ कर देखा, वहाँ खड़ा जामुन का पेड़ उससे कुछ कह रहा था।

“कृपया तुम यहाँ से मत जाओ, हमें तुम्हारी जरूरत है। पूरे जंगल में हम सबसे अधिक तुम्हारी वजह से ही फल-फूल पाते हैं। वह तुम ही हो जो अपनी मजबूत चोंव से फलों को अन्दर तक खाती हो और हमारे बीजों को पूरे जंगल में बिखेरती हो। हो सकता है बाकी चिड़ियों के लिए तुम मायने ना रखती हो लेकिन हम पेड़ों के लिए तुमसे बढ़कर कोई दूसरी चिड़िया नहीं है। मत जाओ, तुम्हारी जगह कोई और नहीं ले सकता।”

पेड़ की बातों ने कैसोवैरी के दिल को छुआ। उसकी बातें सुनकर आज पहली बार उसे जीवन में यह एहसास हुआ कि वह इस धरती पर बेकार में मौजूद नहीं है। भगवान ने उसे एक बेहद जरूरी काम के लिए भेजा है और सिर्फ बाकी चिड़ियों की तरह न उड़ पाना कहीं से उसे छोटा नहीं बनाता। आज कैसोवैरी चिड़िया बहुत खुश थी। वह खुशी-खुशी जंगल में लौट गई।

कैसोवैरी चिड़िया की तरह ही कई बार हम इंसान भी औरों को देखकर खुद में लघुता का अनुभव करते हैं। हम अपने पास की चीजों को महत्ता न देकर, ये सोचते हैं कि विधाता ने हमें वे चीजें क्यों नहीं दीं, जो दूसरों के पास हैं। ऐसी स्थिति में हम खुद को दीन-हीन और दूसरों को सौभाग्यशाली मानकर विधाता को कोसने लगते हैं।

हमें कभी भी बेकार की तुलना में नहीं पड़ना चाहिए। हर एक इंसान अपने आप में अनोखा है और अलग है। हर किसी के अन्दर कोई-न-कोई बात है जो उसे खास बनाती है। हो सकता है कि वह दूसरों के लिए बस एक इंसान हो लेकिन किसी एक के लिए वह पुरी दुनिया हो सकता है। जीवन की महत्ता को समझकर, उसे सकारात्मक सोच का उपहार देकर हम अपने इस अमूल्य जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।

(i) कैसोवैरी चिड़िया सबसे अलग कैसे थी? बाकी चिड़ियों का व्यवहार उसके साथ कैसा था?        [3]

(ii) कैसोवैरी को किससे क्या शिकायत थी? उसकी यह शिकायत कैसे दूर हुई?                           [3]

(iii) हम अपनी जिन्दगी को कैसे बेहतर बना सकते हैं? गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।             [3]

(iv) निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनिए।

“कृपया तुम यहाँ से मत जाओ, हमें तुम्हारी ज़रूरत है। पूरे जंगल में हम सबसे अधिक तुम्हारी वजह से ही फल-फूल पाते हैं।”

  1. इस कथन के आधार पर जामुन के पेड़ की किन विशेषताओं का पता चलता है?         [1]
    1. नम्रता और प्रेम
    2. अहंकार और दया
    3. करुणा और क्रोध
    4. धैर्य और गर्व
  2. कैसोवैरी के किस काम की वजह से जामुन का पेड़ फलता-फूलता था?   [1]
    1. उसके जामुन न खाने से
    2. उसके कोटर में रहने से
    3. उसके जंगल में बीज बिखेरने से
    4. उसके न उड़ पाने से
  3. कैसोवैरी पर जामुन के पेड़ की बातों का क्या प्रभाव पड़ा?         [1]
    1. वह गुस्सा हो गई।
    2. उसे अपनी पहचान मिली।
    3. उसने जंगल छोड़ दिया।
    4. वह उड़ना सीखने लगी।

(v) निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनिए:

“पेड़ की बातों ने कैसोवैरी के दिल को छुआ। उसकी बातें सुनकर आज पहली बार उसे जीवन में यह एहसास हुआ कि वह इस धरती पर बेकार में मौजूद नहीं है।”

  1. 'दिल को छुआ' - पंक्ति से क्या आशय है?             [1]
    1. भाव-विभोर होना।
    2. मन दुखी होना।
    3. मन में निराशा उत्पन्न होना।
    4. मन उदासीन होना।
  2. “...वह इस धरती पर बेकार में मौजूद नहीं है।"- पंक्ति से कैसोवैरी के मन के किस भाव का पता चलता है?                          [1]
    1. उदारता का भाव
    2. लघुता का भाव
    3. आत्मीयता का भाव
    4. आत्मविश्वास का भाव
  3. 'मौजूद' शब्द गद्यांश में किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है?            [1]
    1. अस्तित्व के सन्दर्भ में
    2. मायूसी के सन्दर्भ में
    3. झुँझलाहट के सन्दर्भ में
    4. प्रताड़ना के सन्दर्भ में

“बहुत है बहुत है दिवाकर!” कृतज्ञता-गद्गद स्वर में मैंने कहा, यह हो जाए दिवाकर, तो मेरा उद्घार हो जाएगा। तू नहीं जानता मैं कितना परेशान हूँ। घर में एक पल को चैन नहीं मिलता...।
  1. वक्‍ता कौन है? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।          [1]
  2. दिवाकर कौन है? वह वक्ता को क्या काम दिलवा रहा था?          [2]
  3. वक्ता की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी?          [2]
  4. “तू नहीं जानता मैं कितना परेशान हूँ। घर में एक पल को चैन नहीं मिलता......।" इस कथन के आलोक में वक्ता के घर की स्थिति का वर्णन कीजिए।      [5]

राजेन्द्र यादव ने समकालीन संदर्भों एवं समस्याओं का मंथन करते हुए 'सारा आकाश' उपन्यास की रचना की है। समर एक ऐसा पात्र है जिसका चरित्रांकन यथार्थवाद के धरातल पर किया गया है। उक्त कथन को ध्यान सें रखकर समर का चरित्र चित्रण कीजिए।


'सारा आकाश' केवल समर और प्रभा की ही कथा नहीं है बल्कि इसके माध्यम से लेखक ने पारिवारिक तथा सामाजिक समस्याओं को भी उजागर किया है। उपन्यास के आधार पर इस कथन की व्याख्या कीजिए। साथ ही यह भी लिखिए कि आप इस कथन से कितना सहमत हैं और क्यों?


“उनके प्रसंग में मेरी बात कहीं नहीं आती। मैं अनेकानेक साधारण व्यक्तियों में से हूँ। वे असाधारण हैं। उन्हें जीवन में असाधारण का ही साथ चाहिए था। सुना है राज-दुहिता बहुत विदुषी हैं।”

  1. प्रस्तुत कथन के वक्ता और श्रोता कौन हैं?          [1]
  2. उक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।                 [2]
  3. “वक्ता ने असाधारण' किसे कहा और क्यों?        [2] 
  4. उक्त संवाद के आलोक में वक्ता के चारित्र की विशेषताएँ लिखिए।    [5]

“राज्याश्रय में रहकर साहित्यकार का लेखन कुंठित हो जाता है -'आषाढ़ का एक दिन' नाटक के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए।


'कालिदास जहाँ एक तरफ अप्रतिम प्रतिभा के स्वामी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके स्वभाव में दुर्बलताओं को भी देखा गया है।` - इस कथन को ध्यान में रखते हुए कालिदास का चरित्र-चित्रण कीजिए।


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