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उत्‍तर लिखिए : संपत्‍ति के दो मुख्य साधन - Hindi (Second/Third Language) [हिंदी (दूसरी/तीसरी भाषा)]

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Question

उत्‍तर लिखिए :

संपत्‍ति के दो मुख्य साधन

Short Note

Solution

संपत्‍ति के दो मुख्य साधन

  1. सृष्टि के द्रव्य,
  2. मनुष्य का शरीर श्रम
shaalaa.com
श्रम साधना
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Chapter 2.03: श्रम साधना - स्‍वाध्याय [Page 63]

APPEARS IN

Balbharati Hindi - Lokbharati 10 Standard SSC Maharashtra State Board
Chapter 2.03 श्रम साधना
स्‍वाध्याय | Q (१) २. | Page 63

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कृति पूर्ण कीजिए :


तुलना कीजिए :

बुद्‌धिजीवी श्रमजीवी
१. १.
२. २.

लिखिए :


लिखिए :

 


‘समाज परोपकार वृत्‍ति के बल पर ही ऊँचा उठ सकता है’, इस कथन से संबंधित अपने विचार लिखिए।


निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

         आम तौर से माना जाता है कि रुपया, नोट या सोना-चाँदी का सिक्‍का ही संपत्‍ति है, लेकिन यह ख्याल गलत है क्‍योंकि ये तो संपत्‍ति के माप-तौल के साधन मात्र हैं। संपत्‍ति तो वे ही चीजें हो सकती हैं जो किसी-न-किसी रूप में मनुष्‍य के उपयोग में आती हैं। उनमें से कुछ ऐसी हैं जिनके बिना मनुष्‍य जिंदा नहीं रह सकता एवं कुछ, सुख-सुविधा और आराम के लिए होती हैं। अन्न, वस्‍त्र और मकान मनुष्‍य की प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं, जिनके बिना उसकी गुजर-बसर नहीं हो सकती। इनके अलावा दूसरी अनेक चीजें हैं जिनके बिना मनुष्‍य रह सकता है।

         प्रश्न उठता है कि संपत्‍तिरूपी ये सब चीजें बनती कैसे हैं? सृष्‍टि में जो नानाविध द्रव्य तथा प्राकृतिक साधन हैं, उनको लेकर मनुष्‍य शरीर श्रम करता है, तब यह काम की चीजें बनती हैं। अतः संपत्‍ति के मुख्य साधन दो हैं: सृष्‍टि के द्रव्य और मनुष्‍य का शरीर श्रम। यंत्र से कुछ चीजें बनती दिखती हैं पर वे यंत्र भी शरीर श्रम से बनते हैं और उनको चलाने में भी प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष शरीर श्रम की आवश्यकता होती है। केवल बौद्‌धिक श्रम से कोई उपयोग की चीज नहीं बन सकती अर्थात बिना शरीर श्रम के संपत्‍ति का निर्माण नहीं हो सकता।

(1) आकृति में दिए गए शब्दों का सूचना के अनुसार वर्गीकरण कीजिए: (2)

(2) उत्तर लिखिए: (2)

गद्यांश में उल्लेखित ख्याल ख्याल गलत होने का कारण
________________ ________________

(3) सूचनाओं के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए: (2)

(i) गद्यांश में प्रयुक्त शब्दयुग्म लिखिए: (1)

  1. ______
  2. ______

(ii) वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)

चीजें बनती दिखती हैं।

(4) ‘शारीरिक श्रम का महत्त्व’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)


निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

अभी समाज में यह चल रहा है कि बहुत से लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चलाते हैं और थोड़े बौद्धिक श्रम से। जिनके पास संपत्ति अधिक है, वे आराम में रहते हैं। अनेक लोगों में श्रम करने की आदत भी नहीं है। इस दशा में उक्त नियम का अमल होना दूर की वात है फिर भी उसके पीछे जो तथ्य है, वह हमें स्वीकार करना चाहिए भले ही हमारी दुर्बलता के कारण हम उसे ठीक तरह से न निभा सकें क्योंकि आजीविका की साधन-सामग्री किसी-न-किसी के श्रम बिना हो ही नहीं सकती। इसलिए बिना शरीर श्रम किए उस सामग्री का उपयोग करने का न्यायोचित अधिकार हमें नहीं मिलता। अगर पैसे के बल पर हम सामग्री खरीदते हैं तो उस पैसे की जड़ भी अंत में श्रम ही है।

धनिक लोग अपनी ज्यादा संपत्ति का उपयोग समाज के हित में ट्रस्टी के तौर पर करें। संपत्ति दान यज्ञ और भूदान यज्ञ का भी आखिर आशय क्या है? अपने पास आवश्यकता से जो कुछ अधिक है, उसपर हम अपना अधिकार न समझकर उसका उपयोग दूसरों के लिए करें।

यह भी बहस चलती है कि धनिकों के दान से सामाजिक उपयोग के अनेक बड़े-बड़े कार्य होते हैं जैसे कि अस्पताल, विद्यालय आदि।

(1) उत्तर लिखिए:     [2]

  1. समाज में अपनी आजीविका बहुत से लोग इससे चलाते हैं -
  2. समाज में अपनी आजीविका थोड़े लोग इससे चलाते हैं -
  3. आराम में रहने वाले लोगों के पास यह अधिक है -
  4. अनेक लोगों में इसकी आदत नहीं है -

(2) कृति पूर्ण कीजिए:     [2]

(3) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:      [2]

  1. उपसर्गयुक्त शब्द शब्द प्रत्यययुक्त शब्द
    ______ ← श्रम → ______
  2. गद्यांश में प्रयुक्त शब्दयुग्म ढुँढ़कर उसका अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए।

(4) 'करोगे दान पाओगे सामाधान' विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।      [2]


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