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'विपदा' पद से आप क्या समझते हैं? अभिघातज उत्तर दबाव विकार के लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए। उसका उपचार कैसे किया जा सकता है? - Psychology (मनोविज्ञान)

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Question

'विपदा' पद से आप क्या समझते हैं? अभिघातज उत्तर दबाव विकार के लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए। उसका उपचार कैसे किया जा सकता है?

Long Answer

Solution

प्राकृतिक विपदाएँ ऐसे दबावपूर्ण अनुभव हैं जो की प्रकोप के परिणाम हैं अर्थात जो प्राकृतिक पर्यावरण में अस्त - व्यस्तता के परिणामस्वरूप उत्पत्र होते है। प्राकृतिक विपदाओं के सामान्य उदाहरण भूंकप, सुनामी, बढ़, तूफान, तथा ज्वालामुखीय उद्रर है। अन्य विपदाओं के भी उदाहरण मिलते हैं। जैसे - युद्ध, औद्योगिक दुर्घटनाएँ(जैसे - औद्योगिक कारखानों में विषैली गैस अथवा रेडियो - सक्रिय तत्वों का रिसाव) अथवा महामारी (उदाहरण के लिए प्लेग जिसने 1994 में हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में तबाही मचाई थी) किन्तु, युद्ध तथा महामारी मानव द्वारा रिचत घटनाएँ हैं, यधपि उनके प्रभाव भी उतने भी गंभीर हो सकते हैं जैसे की प्राकृतिक विपदाओं के। इन घटनाओं को 'विपदा' इसलिए कहते हैं क्योंकि इन्हे रोका नहीं जा सकता, प्रायः ये बिना किसी चेतावनी के आती हैं तथा मानव जीवन एवं संपत्ति को इनसे अत्यधिक क्षति पहुँचती है। अभिघतज उत्तर दबाव विकार(पी. टी. एस. डी.) एक गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या है जो अभिघतज घटनाओं, जैसे - प्राकृतिक विपदाओं के कारण उत्पत्र होती है। इस विकार के निम्लिखित लक्षण हैं:

  1. तात्कालिक प्रतिक्रियायें - विपदा की तात्कालिक प्रतिक्रिया के रूप में सबसे पहले विस्मृति का अनुभव होता है अर्थात लोगों को यह अनुभव ही नहीं हो पाता कि उनके लिये इस विपदा का मतलब क्या था और यह उनके जीवन में कितनी भयानक क्षति को कर गई है । वह यह बात स्वीकार करने में बहुत समय लगा देते हैं कि उनके जीवन में एक भयंकर घटना घट चुकी है जिसने उनके जीवन को छिन्न-भिन्न कर दिया है । इस घटना से उबरने में उन्हें काफी समय लग जाता है।
  2. शारीरिक प्रतिक्रियायें - तात्कालिक प्रतिक्रियाओं के बाद पीड़ित लोगों में शारीरिक प्रतिक्रियायें उत्पन्न होने लगती है जैसे कि बिना काम के थकावट का अनुभव करना, भूख ना लगना. नींद ना आना, तनाव होना, अचानक से चौंक जाना या डर जाना।
  3. सांवेगिक प्रतिक्रियायें - सांवेगिक प्रतिक्रियाओं में शोक, दुख, भय, निराशा, अवसाद उत्पन्न होने लगता है। पीड़ित व्यक्तियों में चिड़चिड़ाहट आ जाती है । उनमें निराशा का भाव पनपने लगता है कि यह मेरे साथ ही क्यों हुआ । वो हताशा की स्थिति में आ जातें हैं और अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। उनमें जीवन के सामान्य क्रियाकलापों के प्रति रूचि खत्म हो जाती है।
  4. संज्ञानात्मक प्रतिक्रियायें - पीड़ित व्यक्तियों में व्याकुलता आ जाती है। उनकी स्मृति दुर्बल होने की संभावना हो जाती है। एकाग्रता में कमी होती है और बार-बार विपदा की घटना दुःस्वप्न बन कर मानसिक रूप से परेशान करती है।
  5. सामाजिक प्रतिक्रियायें - पीड़ित व्यक्ति सामाज से कट जाते हैं। अक्सर आसपास के लोगों से द्वंद्व की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अपने संबंधियों से वाद-विवाद करने लगते हैं। सामाजिक क्रिया-कलापों से अलग - थलग से पड़ जाते हैं।
    उपचार - यह सारी प्रक्रियाएं बहुत लंबे समय तक चल सकती हैं। कुछ स्थितियों में यह प्रतिक्रियायें जीवन भर चलती रहती हैं। पर कुछ उपचारों द्वारा इन्हें कुछ हद तक कम किया जा सकता है या बिल्कुल खत्म किया जा सकता है।
    उपयुक्त परामर्श द्वारा, मानसिक रोगों के उपचार द्वारा इनकी तीव्रता को कम किया जा सकता है तथा अभिघात उत्तर दबाब विकार (पी टी एस डी) के स्तर में सुधार किया जा सकता है । आर्थिक, सामाजिक एवं मानसिक रूप से सांत्वना दे कर पीड़ित व्यक्तियों में दुख के आवेग को बहुत हद तक कम किया जा सकता है । उनको प्रेरणा देकर धीरे-धीरे समाज की मुख्य धारा में वापस लाया जा सकता है तथा उन्हें एक नये जीवन के आरंभ के लिये अभिप्रेरित किया जा सकता है।
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मानव व्यवहार पर पर्यावरणीय प्रभाव
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Chapter 8: मनोविज्ञान एवं जीवन - समीक्षात्मक प्रश्न [Page 185]

APPEARS IN

NCERT Psychology [Hindi] Class 12
Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन
समीक्षात्मक प्रश्न | Q 6. | Page 185
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