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"यदि बड़े और संसाधन संपन्न देश अमरीकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मनना अव्यवहारिक है की अपेक्षाकृत छोटी और कमजोर राज्येतर संस्थाएँ अमरीकी वर्चस्व - Political Science (राजनीति विज्ञान)

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Question

"यदि बड़े और संसाधन संपन्न देश अमरीकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मनना अव्यवहारिक है की अपेक्षाकृत छोटी और कमजोर राज्येतर संस्थाएँ अमरीकी वर्चस्व का कोई प्रतिरोध कर पाएंगी।" इस कथन की जाँच करें और अपनी राय बताएँ।

Answer in Brief

Solution

मेरी राय के अनुसार यह कथन बिल्कुल सत्य है। आज कोई संदेह नहीं की अमरीका विश्व का सबसे धनी और सैन्य दृष्टी से शक्तिशाली देश है। आज वैचारिक दृष्टी से भी पूंजीवादी, समाजवादी को बहुत पीछे छोड़ चूका है। सोवियत संघ लगभग 70 वर्षो तक पूँजीवाद की विरुद्ध लड़ा। यहाँ के लोगों को अनेक नागरिक और स्वतंत्रता के अधिकारों से वंचित रहना पड़ा। वह विचारो की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी। एक ही राजनैतिक पार्टी की तानाशाही थी परंतु वहाँ के लोगों ने महसूस किया किया की उपभोक्त संस्कृति और विकास की दर से पश्चिमी देशों की तुलना में न केवल सोवियत संघ बल्कि अधिकांश पूर्वी देशो भी पिछड़ गए। आज विश्व में सबसे बड़ा साम्यवादी देश चीन है। वहा पर भी ताइवान, तिब्बत , और अन्य क्षेत्रों में अलगावबाद उदारीकरण, विश्विकरण के पक्ष में आवाज उठती रहती है, माहौल बनता रहा। जब ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, भारत और चीन जैसे बड़े देश अमरीका के वर्चस्व को खुलकर चुनौती नहीं दे सकते तो छोटे देश जिनकी संख्या १६० - १७० से भी ज्यादा है, वे अमेरिका को चुनौती किस प्रकार से दे सकेंगे। वस्तुत: हाल में यह सोचना गलत होगा। छोटी और कमजोर राज्येतर संस्थाएँ अमरीका वर्चस्व का कोई प्रतिरोध नहीं कर पाएंगी। अभी तो उदारीकरण, वैश्वीकरण और नई अर्थव्यवस्था का बोलबाला है जो अमरीकी छत्रछाया में ही परवान चढ़ रहे हैं।

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अमरीकी शक्ति के रास्ते में अवरोध
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Chapter 3: समकालीन विश्व में अमेरीकी वर्चस्व - प्रश्नावली [Page 50]

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NCERT Political Science [Hindi] Class 12
Chapter 3 समकालीन विश्व में अमेरीकी वर्चस्व
प्रश्नावली | Q 9. | Page 50
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