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भारत में प्रजाति तथा जाति के संबंधों पर हरबर्ट रिजले तथा जी. एस. घूर्य की स्थिति की रूपरेखा दें। - Sociology (समाजशास्त्र)

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प्रश्न

भारत में प्रजाति तथा जाति के संबंधों पर हरबर्ट रिजले तथा जी. एस. घूर्य की स्थिति की रूपरेखा दें।

संक्षेप में उत्तर

उत्तर

  • रिजले का मानना था कि मनुष्य को उसकी शारीरिक विशिष्टताओं के आधार पर अलग भिन्न जनजातियों में वगीकृत किया जा सकता है; जैसे-खोपड़ी की चौड़ाई, नाक की लंबाई या कपाल का भार अथवा खोपड़ी का वह भाग जहाँ मस्तिष्क स्थित है।
  • रिज़ले को विश्वास था कि विभिन्न प्रजातियों के उविकास के अध्ययन के संदर्भ में भारत एक विशिष्ट प्रयोगशाला’ है। इसका कारण यह है कि जाति एक लंबे समय से विभिन्न समूहों के बीच अंतनिर्वाह को निषिद्ध करती है।
  • उच्च जातियों ने भारतीय-आर्य प्रजाति की विशिष्टताओं को ग्रहण किया जबकि निम्न जातियों में अनार्य जनजातियों, मंगोल या अन्य प्रजातियों के गुण पाये जाते हैं।
  • रिजले और अन्य विद्धानों ने सुझाव दिया कि निम्न जातियाँ ही भारत की मूल निवासी हैं। आर्यों ने उनका शोषण किया जो कहीं बाहर से आकर भारत में फले-फूले थे।
  • रिजले के तर्को से घूर्ये असहमत नहीं थे। परंतु उन्होंने इसे केवल अंशतः सत्य माना। उन्होंने इस समस्या की ओर ध्यान दिया। वस्तुतः यह समस्या, केवल औसत के आधार पर बिना परिवर्तन सोच-विचार किए किसी समुदाय पर विशिष्ट मापदंड लागू कर देने से उत्पन्न होती है। जोकि विस्तृत एवं सुव्यवस्थित नहीं था।
  • प्रजातीय शुद्धता केवल उत्तर भारत में शेष रह गई थी। इसका कारण यह था कि वहाँ अंतर्विवाह निषिद्ध था।
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भारतीय समाजशास्त्री
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अध्याय 5: भारतीय समाजशास्त्री - अभ्यास [पृष्ठ ११०]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Sociology [Hindi] Class 11
अध्याय 5 भारतीय समाजशास्त्री
अभ्यास | Q 3. | पृष्ठ ११०

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