'बात सीधी थी पर' कविता में कवि ने बात और शरारती बच्चे के बीच समानता का वर्णन किया है। कवि के अनुसार, बात शुरू में सीधी और सरल होती है, जैसे एक मासूम बच्चा। लेकिन समय के साथ, जैसे शरारती बच्चा अपनी हरकतों से माहौल को उलझा देता है, वैसे ही बात भी परिस्थितियों और भावनाओं के प्रभाव में उलझ जाती है। जब बात को सहज रूप से न कहकर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता है, तो वह उलझती चली जाती है और शरारती बच्चे के समान प्रतीत होने लगती है। बात में जो सरलता और स्पष्टता थी, वह शरारती बच्चे की तरह जटिल हो जाती है और अपने मूल स्वरूप से भटक जाती है। इस प्रकार, कवि ने बात और शरारती बच्चे के व्यवहार में समानता दिखाते हुए उनकी सहजता और जटिलता का प्रतीकात्मक वर्णन किया है।
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प्रश्न
पद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए:
बात और शरारती बच्चे के बीच की समानता 'बात सीधी थी पर' शीर्षक कविता के संदर्भ में लिखिए।
लघु उत्तरीय
उत्तर
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