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महाराष्ट्र स्टेट बोर्डएसएससी (हिंदी माध्यम) ९ वीं कक्षा

‘साहस को अधीन करने की अभिलाषा करना पागलपन है’, कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। - Hindi [हिंदी]

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प्रश्न

‘साहस को अधीन करने की अभिलाषा करना पागलपन है’, कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

संक्षेप में उत्तर

उत्तर

कोई भी शक्ति किसी साहसी व्यक्ति, जाति तथा राष्ट्र के साहस को अधीन नहीं बना सकती। साहसिकता वीर पुरुष का लक्षण हैं। संसार का इतिहास उन्हीं लोगों के नामों से प्रकाशित है, जिन्होंन समय की छाती पर अपने साहस की मुहर लगाई है। साहस शरीर का बल नहीं, आत्मा की शक्ति का नाम है। जब व्यक्ति की यह शक्ति जागृत होती है, तब समाज में हलचल प्रारंभ हो जाती है। इसलिए किसी व्यक्ति, या राज्य द्वारा साहस को अधीन करने की अभिलाषा करना उसका पागलपन है। गांधीजी का जब आंतरिक साहस जागृत हुआ, तो उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चलाकर अंग्रेजों को भारत से भगा दिया।

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मातृभूमि का मान
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अध्याय 1.07: मातृभूमि का मान - स्वाध्याय [पृष्ठ ३१]

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बालभारती Hindi - Kumarbharati 9 Standard Maharashtra State Board
अध्याय 1.07 मातृभूमि का मान
स्वाध्याय | Q २ | पृष्ठ ३१
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