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समन्वित इस्पात उद्योग मिनी उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है? - Social Science (सामाजिक विज्ञान)

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प्रश्न

समन्वित इस्पात उद्योग मिनी उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है?

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उत्तर

समंवित इस्पात उघोग से हमरा आशय एक ऐसे इस्पात संयंत्र से है जिसमे माल से लेकर इस्पात बनाने तक की सभी क्रियाएँ की जाती है , जबकि मिनी इस्पात उघोगों वे छोटे संयंत्र हैं जिसमे उत्पादन प्रक्रिया के दौरान विघुत भट्टी , रद्दी ओइस्पत और स्पंज आयरन का प्रयोग किया जाता है | इन उघोगों में रि-रोलर्स होते है जिसमे इस्पात की झिलिलयों का इस्तेमाल किया जाता है | इन उघोगों द्वारान प्राय : हलके स्टील या निर्धारित अनुपात के कठोर व मिश्रित इस्पात का का उत्पादन किया जाता है |

इस्पात उघोग की समस्याएँ निम्नलिखित है :-

(क) कोकिंग कोयले की सीमित आपूर्ति और ज्यादा लागत |

(ख) श्रमिकों की निम्न उत्पादकता |

(ग) अविकसित अधोसंरचना |

(घ) ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति | 

इस्पात उघोग की उत्पादकता में बढ़ोतरी में निजी उघमियों के प्रयास तथा उदारीकरण एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा योगदान रहा है | 

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राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का योगदान
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अध्याय 6: विनिर्माण उद्योग - अभ्यास [पृष्ठ ८२]

APPEARS IN

एनसीईआरटी Social Science - Contemporary India 2 [Hindi] Class 10
अध्याय 6 विनिर्माण उद्योग
अभ्यास | Q 3. (i) | पृष्ठ ८२
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